हरियाणा: एक साल में दो चुनाव हुए मगर दोनों के नतीजे रहे बिल्कुल अलग

मई में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत प्राप्त हुई थी उसने राज्य के सभी 10 संसदीय सीटें हासिल की लेकिन अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में वह अपने दम पर बहुमत भी प्राप्त नहीं कर पाई
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 25, 2019 10:17 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में वर्ष 2019 में कुछ महीनों के अंतर पर दो चुनाव हुए और सत्तारूढ़ भाजपा के लिए दोनों के परिणाम में जमीन-आसमान का अंतर रहा। मई में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत प्राप्त हुई थी। उसने राज्य के सभी 10 संसदीय सीटें हासिल की। लेकिन अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में वह अपने दम पर बहुमत भी प्राप्त नहीं कर पाई।

विधानसभा में भाजपा ने 90 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। लक्ष्य तो हासिल नहीं हुआ, अलबत्ता हरियाणा के आठ मंत्री चुनाव हार गए। चुनाव में जननायक जनता दल (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला किंगमेकर के रूप में उभरे। जेजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन करके भाजपा ने दोबारा मनोहर लाल खट्टर की सरकार बनाई।

इससे पहले उसके पास महज 17 सीट थी

चुनाव परिणामों के लिहाज से कांग्रेस के लिए भी यह साल मिला जुला रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्य इकाई के प्रमुख अशोक तंवर और तीन बार के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा लोकसभा चुनाव हार गए। लेकिन विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए राहत लाया। 31 सीट जीत कर कांग्रेस दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इससे पहले उसके पास महज 17 सीट थी।

इस साल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकुला में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को भूमि आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें हुड्डा और मोतीलाल वोरा का नाम था। खिलाड़ियों को सम्मानित करने वाले राज्य स्तरीय एक कार्यक्रम को आयोजित नहीं करने का फैसला लेकर खट्टर सरकार ने उनकी नाराजगी मोड़ ली। सरकार ने गीता महोत्सव का भी आयोजन किया। इस साल वरिष्ठ नौकरशाह अशोक खेमका भी खबरों में रहे। नवंबर में उनका 53वां स्थानांतरण हुआ।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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