चौथी क्लास के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत, जानें बच्चों में क्यों बढ़ रहा का कार्डियक अरेस्ट का खतरा

मध्यप्रदेश के भिंड से चौका देने वाला मामला सामने आया। जहां पर 12 साल के एक बच्चे की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई। दरअसल, बच्चा स्कूल से वापस घर लौट रहा था, तभी बस में चक्कर खाकर गिर गया। जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है।
 

हेल्थ डेस्क : आजकल कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। चाहे जिम में एक्सरसाइज करते वक्त सेलिब्रिटीज की हार्ट अटैक के चलते मौत के मामले हों या फिर छोटे बच्चे ही इसका शिकार क्यों ना हो रहे हो। कुछ इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश के भिंड से सामने आया, जहां पर चौथी में पढ़ने वाले 12 वर्षीय बच्चे की हार्टअटैक के चलते मौत हो गई। दरअसल, यह बच्चा स्कूल से वापस घर जा रहा था। इस दौरान बस में बच्चा चक्कर खाकर गिर गया। आनन-फानन में जब उसे अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया।

क्या है पूरा मामला 
दरअसल, यह घटना मध्यप्रदेश के भिंड के इटावा रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल की है। जहां पर गुरुवार को 12 वर्षीय मनीष जाटव दोपहर 2:00 बजे स्कूल से बस में घर जाने के लिए चढ़ा। इस दौरान वह चक्कर खाकर बस में ही गिर गया। बस चालक ने इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन और उसके परिजनों को दी। जिसके बाद बच्चे को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने उसे सीपीआर यानी कि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन दिया गया। लेकिन उसे होश नहीं आया। जिला अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अनिल गोयल ने बताया कि बच्चा मृत अवस्था में ही लाया गया था। हालांकि, माता-पिता ना बच्चे का पोस्टमार्टम कराने का फैसला नहीं लिया। 

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बच्चों में क्यों बढ़ रही हार्टअटैक की समस्याएं 
- एक स्टडी के अनुसार बच्चों में कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक की घटनाएं कोविड-19 के बाद बढ़ी है। हालांकि, यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश में किसी बच्चे की हार्ट के चलते मौत हुई है।

डॉक्टर का यह भी कहना है कि हो सकता है बच्चे को कोई एडवांस डिसीज जैसे कि कैंसर या हार्ट
प्रॉब्लम रही हो जिसका डायग्नोज पहले नहीं हुआ हो। इसके चलते भी बच्चे का हार्ट अटैक आ सकता है।

बच्चों में हार्ट अटैक के संकेत 
- थोड़ा सा काम करने में सांस फूल जाना। 
- जल्दी थक जाना या कमजोरी महसूस करना।
- होंठ,  म्यूकस मेम्ब्रेन और नाखूनों का रंग बदलना जैसे पर्पल ग्रे या ब्लू होना।
- तेजी से दिल धड़कना,बार बार चक्कर आना और बेहोश होना।
- छाती में दर्द रहना। हालांकि,बच्चों में यह दर्द सामान्य हो सकता है इसलिए इसे नजरअंदाज ना करें।

बच्चों को स्कूल भेजते समय रखें इन बातों का ध्यान

बच्चे को सुबह खाली पेट स्कूल ना भेजें। उसे कुछ खिलाकर ही स्कूल भेजें।

ज्यादा देर तक बच्चे को भूखे पेट ना रखें। भूखे रहने से ब्लड शुगर कम होता है और हार्ट अटैक की संभावना भी बढ़ सकती है। 

सर्दी के मौसम में बच्चे का ठंड से पूरी तरह से बचाव करें।ठंड के समय में सांस लेने में समस्या और स्ट्रोक की समस्या का खतरा बढ़ जाता है।

समय-समय पर बच्चों का हेल्थ चेकअप भी जरूरी है,ताकि उनमें किसी भी रियर या सामान्य डिजीज का पता चल सके।

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