183 साल पहले खोजा गया म्यूजिक अब बन गया है Digital Drug, लोग कर रहे हैं अब डिजटली नशा!

नशा करने के लिए लोग शराब, चरस, भांग, गांजा समेत कई मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। लेकिन अब नया नशा ट्रेंड में आ है। इसे डिजिटल ड्रग कहा जाता है। इसकी खोज 1839में की गई थी यानी 183 साल पहले।

हेल्थ डेस्क: नशा करना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। लोग खुद को मदहोश करने के लिए शराब, चरस, गांजा समेत कई मादक पदार्थों का सेवन करते हैं जो हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन बदलते दौर में नशा का एक और ट्रेंड सामने आया है। इसे डिजिटल नशा कहा जाता है। इस नशा को करने के लिए मोबाइल, इंटरनेट और हेडफोन की जरूरत होती है। मानसिक सुकून के लिए लोग इस डिजिटल ड्रग का सेवन कर रहे हैं।

ये डिजिटल ड्रग संगती की एक कैटेगरी है। जिसे बाइनॉरल बीट्स (Binaural Beats) कहते हैं। इसे बाइनॉरल शिफ्ट के साथ-साथ बाइनॉरल टोन्स भी कहते हैं। ये डिटिजल नशा स्पॉटिफाई, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। बाइनॉरल बीट्स के ऑडियो ट्रैक्स सुनते ही नशा चढ़ने लगता है। जिसका डायरेक्ट इफेक्ट ह्यूमन मस्तिष्क पर पड़ता है। 

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क्या है बाइनॉरल बीट्स 

रिपोर्ट्स की मानें तो बाइनॉरल बीट्स में खास तरह की ध्वनि होती है। इसमें दोनों कानों में अलग-अलग तरह की फ्रीक्वेंसी की साउंड आती है। जिसकी वजह से सुनने वाले के दिमाग में अलग तरह का कन्फ्यूजन पैदा होता है। वह इसे एक बनाने की कोशिश करता है। जिसकी वजह से तीसरी आवाज बनती है। पूरी प्रक्रिया के दौरान सुनने वाले को सुकून मिलता है। वह इसमें इस कदर खो जाता है जैसे उसे लगता है कि वह नशे में है।

बाइनॉरल बीट्स को लेकर हुआ रिसर्च 

इसके बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए इसके असर को समझने के लिए ड्रग एंड एल्कोहल रिव्यू जर्नल में एक शोध छपा है। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने करीब 30 हजार लोगों पर सर्वे किया है। जिसमें सामने आया कि  5.7 प्रतिशत लोग बाइनॉरल बीट्स सुनना पसंद करते हैं।

शोध के मुताबिक, बाइनॉरल बीट्स सुनने वालों में करीब 60 प्रतिशत पुरुष हैं। करीब तीन चौथाई लोग इसे सुनकर अच्छी नींद लेते हैं।वहीं 34 प्रतिशत लोग मूड चेंज करने के लिए इसे सुनते हैं। जबकि 11 प्रतिशत लोग फिजिकल ड्रग्स जैसा असर महसूस करने के लिए सुनते हैं।

कहां सुना जा रहा है सबसे ज्यादा बाइनॉरल बीट्स

बाइनॉरल बीट्स सबसे ज्यादा अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील,मेक्सिको, रोमानिया, पोलैंड में सुना जा रहा है। करीब 50 % लोग इसे 1 घंटा और लगभग 12 % इसे 2 घंटे से ज्यादा वक्त तक सुनते हैं। हालांकि इस बीट्स का दिमाग या शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है इसे लेकर अभी कोई शोध नहीं हुए हैं। 

किसने की थी इसकी खोज

बता दें कि  बाइनॉरल बीट्स दो शब्दों से मिलकर बना है। बाइनॉरल का अर्थ दो कान और बीट्स का मतलब ध्वनी यानी साउंड होता है।हेनरिक विलहम डव ने साल 1893 में बाइनॉरल बीट्स की खोज की थी। 

बच्चे ले रहे थे डिजिटल ड्रग

डिजिटल ड्रग का पहला मामला अमेरिका में साल 2010 में एक स्कूल में आया था। यहां तीन बच्चे इस साउंड को सुनते हुए नशे में दिखाई दिए। जब प्रिंसिपल ने पूछा क्या सुन रहे हो तो उन्होंने बताया कि बाइनॉरल बीट्स सुन रहे थे। उस वक्त  नार्कोटिक्स ब्यूरो ने बच्चों में इसके असर को लेकर चेतवानी दी थी।

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