World Blood Donor Day 2022: ब्लड से जुड़ी ये 6 बीमारियां हो सकती हैं जानलेवा, जानें लक्षण और बचाव

14 जून को पूरी दुनिया में विश्व रक्तदाता दिवस (World blood donor day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों तक ज्यादा से ज्यादा ब्लड और उससे जुड़ी जानकारियां पहुंचाना है। बता दें कि खून की कमी या फिर खराबी के चलते कई बीमारियों हो सकती हैं। इनमें से कुछ तो बेहद गंभीर हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 13, 2022 2:39 PM IST

World Blood Donor Day 2022: दुनियाभर में 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World blood donor day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों तक ज्यादा से ज्यादा ब्लड और उससे जुड़ी जानकारियां पहुंचाना है। खून हमारे लिए कितना जरूरी है, इसकी अहमियत तब समझ आती है जब हमारे किसी करीबी को इसकी जरूरत पड़ती है। कई बार खून की कमी या उसमें खराबी (Blood Disorder) की वजह से कई बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में इनके लक्षण पहचानकर इनसे बचाव करना बेहद जरूरी होता है। 

खून की खराबी (Blood Disorder) के प्रकार :
जब हमारे शरीर में खून की कमी होने लगती है तो हमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही कुछ रक्त विकार (Blood Disorder) में होता है। इस दौरान खून सही तरीके से काम नहीं कर पाता है जिसके चलते कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। 

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1- न्यूट्रोपेनिया 
न्यूट्रोपेनिया एक तरह से सफेद रक्त कोशिका (WBC) की कमी है, जिसके चलते आपका इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से कई संक्रामक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर मरीज को बेहद थकान महसूस होती है। इससे बचने के लिए जिंक और विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थ खाएं।  

2- एनीमिया : 
एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स (RBC) की संख्या कम होने लगती है। इसकी वजह से शरीर के ऊतकों में पर्याप्त मात्रा में आरबीसी नहीं पहुंच पाती। एनीमिया के चलते बेहद कमजोरी महसूस होती है। RBC काउंट बढ़ाने के लिए खाने में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिन B12, कॉपर, और विटामिन A, वाली चीजें खाने में शामिल करें। 

3- थ्रोम्बोसाइटोसिस :  
थ्रोम्बोसाइटोसिस में खून में प्लेटलेट्स की संख्या जरूरत से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। कई बार इसके चलते रक्त के थक्के नहीं बन पाते हैं, जिसके चलते ब्लीडिंग होने लगती है। इस बीमारी में त्वचा का फटना, नाक-मुंह और मसूड़ों से खून आना जैसे लक्षण होते हैं। थ्रोम्बोसाइटोसिस में अस्थि मज्जा द्वारा प्लेटलेट उत्पादन को घटाने के लिए हाइड्रोक्सीयूरिया या एनाग्रेलाइड जैसी दवाएं दी जाती हैं। 

4- ब्लड क्लॉटिंग : 
कई बार रक्त विकार के चलते खून के थक्के जमने लगते हैं। यानी खून गाढ़ा होने लगता है। अगर खून जमने की स्थिति दिमाग में होती है तो इससे स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। यही अगर हार्ट में हो तो हार्ट अटैक हो सकता है।
खून गाढ़ा होने की स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवाएं लें।
 
5- ल्यूकेमिया : 
यह ब्लड कैंसर का ही एक प्रकार है। इसमें सफेद रक्त कोशिका असामान्य रूप से फैलकर घातक हो जाती है और अस्थि मज्जा के अंदर बढ़ जाती है। यह एक्यूट और क्रोनिक दोनों तरह का हो सकता है। ल्यूकेमिया के इलाज के लिए कीमोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट का उपयोग किया जाता है। 

6- हीमोफीलिया : 
हीमोफीलिया एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें खून का थक्का बनना बंद हो जाता है। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनका खून ज्यादा समय तक बहता रहता है। इसके मरीजों को नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून निकलना, चमड़ी का आसानी से छिल जाना जैसी समस्याएं रहती हैं। खून में थक्का बनाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें। 

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