कोरोना का खौफ अभी दुनिया से गया नहीं, इससे पहले एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी का पता चला है। ब्रेन-ईटिंग अमीबा का पहला केस दक्षिण कोरिया में मिला है। यह बीमारी दिमाग से जुड़ा है हुआ है इसे रोकने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी हैं। यह जानलेवा होता है।
हेल्थ डेस्क. चीन में कोरोना तबाही मचा रहा हैं। दुनिया का हर देश जो कोरोना की मार झेल चुका है वो चीन से आ रही खबर के बाद से डरा हुआ था। अब इस डर को दोगुना करने नेग्लरिया फाउलेरी अमीबा का केस जिसे ब्रेन-ईटिंग अमीबा (brain eating amoeba) कहा जाता है सामने आ गया है। दक्षिण कोरिया में इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी का पता चला है। यहां एक शख्स की 'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' (PAM) बीमारी की वजह से मौत हो गई है। यह बीमारी ब्रेन -ईटिंग अमीबा की वजह से फैलती है।
इस बीमारी में दिमाग में संक्रमण फैलता है। केस मिलने के बाद दक्षिण कोरिया इस बीमारी को लेकर अलर्ट हो गई है। कोरियाई टाइम्स में छपी रिपोर्ट की मानें तो थाईलैंड से लौटे एक शख्स की मौत हो गई। उसके अंदर यह बीमारी पाई गई। पानी से फैलने वाला यह अमीबा खतरनाक प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस रोग का कारण है। यह अमीबा गर्म ताजे पानी के स्रोतों में मिलता है।
गर्म मीठे पानी के स्रोतों में पाया जाता है यह अमीबा
ब्रेन ईटिंग अमीबा मिट्टी के अलावा झीलों, नदियों और झरनों जैसे गर्म मीठे पानी के स्रोतों में पाया जाता है। यह पानी के जरिए किसी भी व्यक्ति के अंदर चला जाता है। अमीबा के शरीर में जाने पर 'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' (PAM) नामक बीमारी होती है। यह कितना खतरनाक होता है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिका में 1962 से 2021 तक 154 लोग इस बीमारी के शिकार हुए जिसमें से केवल चार लोग ही जिंदा बच पाए। मतलब इसमें बचना असंभव होता है।
'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' बीमारी के बारे में शुरुआत में पता लगाना मुश्किल होता है। यह बहुत तेजी से फैलती है। अब तक जितने भी केस सामने आए हैं उनमें मौत के बाद ही इस बीमारी के बारे में पता चला है। कुछ अपवाद को छोड़कर।
बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण दो स्टेज में दिखाई देते हैं। पहले स्टेज में सिर के आगे हिस्से में तेज दर्द, बुखार, मतली और उल्टी जैसा मन का होना। वहीं, दूसरे स्टेज में गर्दन में अकड़न, दौरा पड़ना, मानसिक तौर पर असंतुलन और भ्रम जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है।
कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी की मानें तो 50 साल का शख्स जिसकी मौत हुई वो चार महीने तक थाइलैंड में था।। 10 दिसंबर को कोरिया वापस लौटा था। यहां आने के बाद उसे मेनिन्जाइटिस बीमारी के लक्षण महसूस होने लगे। सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बोलने में दिक्कत, गर्दन में जकड़ जैसी समस्याएं होने लगी। 11वें दिन उसकी मौत हो गई।
क्या यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है
अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है यह बीमारी संक्रमण वाली नहीं है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की मानें तो नेग्लरिया फाउलेरी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
इलाज
इस बीमारी का कोई वैक्सीन नहीं बना है। लेकिन इलाज के लिए एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल,एम्फोटेरिसिन बी, रिफैम्पिन,डेक्सामेथासोन और मिल्टेफोसिन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
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