दंगल फेम फातिमा सना शेख हाल ही में खुलासा किया कि वो मिर्गी बीमारी से पीड़ित हैं। उन्हें मिर्गी के दौरे ( (Epilepsy Attacks) पड़ते थे। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और ट्रीटमेंट के बारे में।
हेल्थ डेस्क. आमिर खान (Aamir Khan)की फिल्म 'दंगल' (Dangal) की एक्ट्रेस फातिमा सना शेख (fatima sana shaikh) को मिर्गी के (Epilepsy) के दौरे पड़ते हैं। उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर खुलासा किया कि वो सालों से इस बीमारी से पीड़ित हैं। वो बताती हैं कि दंगल मूवी की शूटिंग के दौरान से उन्हें यह बीमारी है। एक बार वो सेट पर बेहोश हो गई थीं। 'Epilepsy Awareness Month'जो नवंबर में मनाया जाता है इस मौके पर अदाकारा ने अपनी बीमारी के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि कैसे वो इस बीमारी से स्ट्रगल की और अब कैसे उसे देखती हैं।
उन्होंने 'आस्क मी एनीथिंग' सेशन में 'एपिलेप्सी' (Epilepsy) के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि दंगल के दौरान जब उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता चला तो उन्हें इसे स्वीकार में 5 साल के करीब लगा। लेकिन अब वो इस बीमारी से डील करना और जीना सीख चुकी हैं।
दरअसल, मिर्गी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जिसमें तंत्रिका कोशिका (nerve cells) की गतिविधि बाधित होती है। जिससे दिमाग में असामान्य तरंगे पैदा होती हैं। इसकी वजह से मरीज को बार-बार दौरा पड़ता है और वह बेहोश हो जाता है। कुछ स्थिति में मरीज का शरीर से नियंत्रण खो जाता है वो लड़खड़ाने लगता है।
हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट की मानें तो 10 में से 6 रोगियों को यह बीमारी क्यों होती है उसका पता लगाना मुश्किल होता है। लेकिन इसकी कई वजहें होती हैं। आइए बताते हैं मिर्गी होने के कारण
सिर पर चोट लगना या उसका निशान रह जाना
ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट होना
आनुवंशिक कारण
मेनिन्जाइटिस
जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट लगना
अल्जाइमर
अत्यधिक शराब या नशीली दवाएं
ब्रेन स्टोक
एड्स
बच्चे के जन्म के दौरान मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना
तंत्रिका संबंधित रोग
दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। डॉक्टर की मानें तो कई बार ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है, ऐसी स्थिति में मिर्गी होने का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण-
मिर्गी के लक्षण
चक्कर आना
अचानक गुस्सा होना
ब्लैक आउट या मेमोरी लॉस होना
लड़खड़ाने लगा और अचानक खड़े-खड़े गिर जाना
कुछ समय के लिए कुछ भी याद नहीं रहना
लगातार ताली बजाना या हाथों को रगड़ना
बात करने में असमर्थ होना या फिर अचानक डर जाना
चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके ाना
जुबान दांतों तले दबाते हुए बेहोश हो जाना
सूंघने या चखने की शक्ति में बदलाव महसूस करना
देखने सुनने और स्पर्श को महसूस करने की क्षमता को खो देना
तनाव, बुखार, दवाओं का सेवन,नींद में कमी,कैफीन का ज्यादा सेवन करना,शराब ज्यादा पीना, ब्लड शुगर का कम होना और खराब लाइफस्टाइल मिर्गी के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
मिर्गी का ट्रीटमेंट
मिर्गी का इलाज करने के कई तरीके मौजूद हैं। मेडिटेशन, सर्जरी और दवाओं के जरिए इसका इलाज किया जाता है। डॉक्टर एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं देते हैं। जिससे दौरा पड़ने की संख्या कम हो जाती है। या फिर दोबारा दौरा आने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा वेगस तंत्रिका उत्तेजना मरीज को दी जाती है। उच्च वसा और कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले आहार लेने का सुझाव डॉक्टर मरीज को देते हैं। इसके अलावा सर्जरी भी की जाती है।
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