अलर्ट! सुंदरता की चाह में गंभीर बीमारी को तो न्योता नहीं दे रहे आप, मौत को दावत दे रहे ये ब्यूटी प्रोडक्ट

कई डेली यूज होने वाले प्रोडक्ट में 'फॉरएवर एंड एवरीवन केमिकल्स' (forever and everywhere chemicals,  पॉलीफ्लूरोकाइल पदार्थ (पीएफएएस) पाए जाते हैं। ये हमेशा पर्यावरण में बने रहते हैं । ये मनुष्यों और जानवरों के शरीर के भीतर वर्षों तक बने रह सकते हैं।

Rupesh Sahu | Published : Apr 14, 2022 6:09 AM IST / Updated: Apr 14 2022, 12:04 PM IST

हेल्थ डेस्क। दुनिया के ज्यादतर महिलाएं खुद को खूबसूरत दिखाने के लिए तमाम तरह के कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करती हैं। महिलाओं में मेकअप की आदत कॉमन है। इसको लेकर डॉक्टर सचेत भी करते हैं कि ये स्किन के लिए खतरनाक हो सकते हैं, बावजूद ब्यूटी पार्लर और कॉस्मेटिक्स की दुकानों पर भीड़ कम नहीं होती है। नई रिसर्च के बाद केमिकल युक्त सौंदर्य सामग्री को लेकर अलर्ट होने का टाइम आ गया है। एक स्टडी में दावा किया गया है कि मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में डायबिटीज का खतरा सौंदर्य प्रसाधन से लेकर कालीन बनाने के लिए इत्सेमाल किए जाने वाले रसायन से बढ़ा है। 

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हमेशा आसपास मौजूद रहते हैं खास केमिकल
कई डेली यूज होने वाले प्रोडक्ट में 'फॉरएवर एंड एवरीवन केमिकल्स' (forever and everywhere chemicals,  पॉलीफ्लूरोकाइल पदार्थ (पीएफएएस) पाए जाते हैं। ये हमेशा पर्यावरण में बने रहते हैं । ये मनुष्यों और जानवरों के शरीर के भीतर वर्षों तक बने रह सकते हैं।

इन प्रोडक्ट में होते हैं खतरनाक रसायन
हाल ही में डायबेटोलोजिया पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी  से पता चलता है कि PFAS मधुमेह यानि डायबिटीज के लिए बहुत जोखिम वाला हो सकता है, ये सार्वजनिक तौर पर स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। पीएफएएस 4,700 से अधिक manufactured chemicals का एक ग्रुप है, जिसका बड़ी तादाद में इंडस्ट्री और कन्ज्यूमर प्रोडक्ट में इस्तेमाल  किया जाता है। ये केमिकल  नॉन-स्टिक कुकवेयर, वाटर, दाग मिटाने वाले कोटिंग्स, फूड पैकेजिंग, कॉरपेट, firefighting foam और यहां तक ​​​​कि सौंदर्य प्रसाधनों में मौजूद होते हैं।

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नेल पॉलिश, हेयर स्प्रे, साबुन और शैंपू में होते हैं पेथलेट्स रसायन
इस प्रकार, पीएफएएस मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकता है। इस अध्ययन में, महामारी विज्ञानी डॉ सुंग क्यून पार्क (Dr Sung Kyun Park  और मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan researchers) के अन्य शोधकर्ताओं ने 42 और 52 वर्ष की आयु के बीच की 1,237 महिलाओं के रक्त और मूत्र (blood and urine samples) के नमूनों का विश्लेषण किया है। इसमें ज्यादातर महिलाओं में खतरनाक रसायनों की मात्रा का पता चला है,जो कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। वहीं ब्रिटेन में नए शोध मे कहा गया है कि ब्यूटी प्रोडक्ट कुछ खास किस्म के रसायनों से डायबिटीज होने का खतरा  बढ़ जाता है। शोध के अनुसर पेथलेट्स रसायन की मौजूदगी नेल पॉलिश, हेयर स्प्रे, साबुन और शैंपू जैसे कई प्रोडक्ट में पाया गया है। यही रसायन डायबिटीज का बड़ा कारण बना है। 

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ड्रिंकिंग वाटर में भी मिला रसायन
वहीं अमेरिका में 200 मिलियन से अधिक लोगों को की जाने वाले सप्लई वाटर में रसायनों का पता चला है। इससे रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसमें एक्सपोजर प्री-एक्लेमप्सिया (pre-eclampsia), liver enzymes के बदलते स्तर, ब्लड फैट में वृद्धि, टीकों के प्रति एंटीबॉडी रिएक्शन में कमीके साथ ही नवजात बच्चों के वजन में कमी देखी गई है। हालांकि इसके लिए  PFAS जिम्मेदार हैं, इसे अभी प्रमाणित नहीं किया गया है। 

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एक्सपर्ट की सलाह
एलर्जी एक्सपर्ट ने इस संबंध में दो प्रमुख सुझाव जारी किए हैं। इसमें प्रमुख है फीवर एंटीहिस्टामाइन (fever antihistamine) से बचना, शोधकर्ताओं ने नोट किया कि रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल ने पीएफएएस जोखिम को एक गंभीर हेल्थ प्राब्लम में बदल दिया है। इसे देखते हुए कुछ प्रोडक्ट को बैन किया जाना चाहिए। वहीं नेचुरल प्रोडक्ट का इस्तेमाल हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा मुफीद है। 

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