शार्क से लेकर गाय और चूहे तक कोरोनावायरस से लड़ने में आ रहे हैं काम, जारी है रिसर्च

इस साल मार्च में कोरोनावायरस महामारी के दुनिया भर में फैलने के बाद इसके लिए मुख्य तौर पर चीन के वुहान शहर के मीट बाजार को जिम्मेदार ठहराया गया था। यह कहा गया कि चमगादड़ों और दूसरे जानवरों से कोरोना महामारी के वायरस फैले। अब कोरोनावायरस पर नियंत्रण के लिए जैसे-जैसे रिसर्च आगे बढ़ रहा है, यह बात सामने आ रही है कि इसकी रोकथाम में जानवरों की अहम भूमिका हो सकती है। 

हेल्थ डेस्क। इस साल मार्च में कोरोनावायरस महामारी के दुनिया भर में फैलने के बाद इसके लिए मुख्य तौर पर चीन के वुहान शहर के मीट बाजार को जिम्मेदार ठहराया गया था। यह कहा गया कि चमगादड़ों और दूसरे जानवरों से कोरोना महामारी के वायरस फैले। अब कोरोनावायरस पर नियंत्रण के लिए जैसे-जैसे रिसर्च आगे बढ़ रहा है, यह बात सामने आ रही है कि इसकी रोकथाम में जानवरों की अहम भूमिका हो सकती है। शार्क मछलियों से लेकर गायों, मुर्गियों और चूहों तक, आज कोविड-19 मरीजों के इलाज में और इस महामारी के खिलाफ वैक्सीन बनाने के काम में काफी मददगार साबित हो रहे हैं।

वैक्सीन के लिए मारे जाएंगे 5 लाख शार्क
कोविड की रोकथाम के लिए बेहद प्रभावी टीके की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि दुनियाभर में 176 टीकों के विकास पर काम हो रहा है। 7 टीकों में सहायक तत्व मिलाए जा रहे हैं। WHO ने कहा कि 5 वैक्सीन में सहायक तत्व के तौर पर स्क्वालीन (Sqalene) मिलाया जा रहा है। यह शार्क के लिवर में पाए जाने वाले तेल से निकलता है। अगर इनमें एक वैक्सीन भी आखिरी टेस्ट में सफल रहा तो इसमें स्क्वालीन मिलाने के लिए करीब 5 लाख शार्कों को मारा जाएगा। शार्क मछली विशालकाय होती है, लेकिन उसमें से अधिकतम 3 किलो स्क्वालीन ही निकलता है। एक वैक्सीन में 10 मिलीग्राम स्क्वालीन मिलाना पड़ता है। इसलिए एक शार्क से 30 लाख कोरोना वैक्सीन की ताकत बढ़ाई जा सकती है।

Latest Videos

गायों से बनेंगे एंटीबॉडीज
कुछ बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां अनुवांशिक रूप से संवर्धित गायों (Genetically Engineered Cows) से मानव एंटीबॉडीज बनाने की कोशिश कर रही हैं। अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की एसएबी बायोथिराप्यूटिक्स ने सैकड़ों गायों में विशेष अनुवांशिकी का संवर्धन किया है, जिनमें आंशिक रूप से इंसानों में पाया जाने वाला इम्यून सिस्टम है। एक रिसर्च के मुताबिक, गाय से काफी ब्लड प्लाज्मा लिया जा सकता है। हर गाय महीने में 30 से 45 लीटर ब्लड प्लाज्मा दे सकती है। इतने ब्लड प्लाज्मा से सैकड़ों मरीजों का इलाज हो सकता है। साथ ही, गाय के ब्लड प्लाज्मा में इंसानों या चूहों के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडीज पाए जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इंसानों एक लीटर खून से जितना प्लाज्मा निकलता है, उससे दोगुनी मात्रा में गायों के खून से निकाला जा सकता है।

चूहे के एंटीबॉडीज का इस्तेमाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को एक क्लोन वाली एंटीबॉडीज (Monoclonal Antibodies) का हाई डोज देने के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था। इलाज का यह तरीका पिछली सदी के 70 के दशक में खोजा गया था। इसके लिए अनुसंधानकर्ता को नोबेल पुरस्कार भी मिला था। अब यह कोरोनावायरस का सबसे कारगर इलाज साबित हो रहा है। इस तरीके से लेबोरेटरी में बनाए गए एंटीबॉडीज वायरस के खिलाफ इंसान के इम्यून सिस्टम को बहुत मजबूत बना देते हैं। यह चूहों से ही मिल सकता है।

मुर्गी के अंडे
कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सर्दियों के मौसम में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ सकता है। इस मौसम में इन्फ्लुएंजा से संबंधित बीमारियां काफी बढ़ती हैं। इससे निपटने के लिए जो टीके लगाए जाते हैं, उनमें मुर्गियों के अंडों का इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर हर 5 में से 4 फ्लू वैक्सीन के डोज मुर्गियों के अंडों से बने होते हैं। वैज्ञानिकों ने 1930 में अंडों में फ्लू वायरस विकसित करने की कोशिश की थी, क्योंकि अंडे सस्ते होते हैं और आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए फ्लू वैक्सीन अब भी उन्हीं से बनाए जा रहे हैं। हालांकि, कोरोनावायरस वैक्सीन इस तरह से नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि कोरोनावायरस अंडों में विकसित नहीं हो सकता है। फिर भी हेल्थ साइंटिस्ट्स इसके लिए रिसर्च करने में लगे हुए हैं। 

Share this article
click me!

Latest Videos

कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी का माइक बंद ऑन हुआ तो बोले- मुझे बोलने से कोई नहीं रोक सकता
'बसपा अब नहीं लड़ेगी कोई उपचुनाव'BSP Chief Mayawati ने खुद बताई बड़े ऐलान की वजह
राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई तीखी बहस
योगी सरकार और BJP के ख़िलाफ़ जमकर दहाड़े AAP राज्यसभा सांसद संजय सिंह
संभल मस्जिद विवाद: हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा पर रोक, स्कूल-कॉलेज बंद