रिसर्च : कम कैलोरी वाले फूड से स्त्रियों-पुरुषों को नहीं होता एक जैसा फायदा

आम तौर पर लो कैलोरी वाले फूड को सेहत के लिए बेहतर माना गया है। इससे मोटापा नहीं बढ़ता और फिटनेस बनी रहती है। लेकिन एक रिसर्च स्टडी से पता चला है कि लो कैलोरी फूड का स्त्रियों और पुरुषों पर एक जैसा असर नहीं होता।

हेल्थ डेस्क। पुरुष और स्त्री एक-दूसरे से कई मामलों में अलग हैं। लेकिन उन पर अलग तरह के फूड का भी असर एक जैसा नहीं होता, यह बात हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चली है। यह रिसर्च स्टडी स्त्रियों और पुरुषों पर पड़ने वाले लो कैलोरी फूड के असर को लेकर की गई। आम तौर पर माना जाता है कि कम कैलोरी वाले फूड सेहत के लिए अच्छे होते हैं और उनसे मोटापा नहीं बढ़ता। मोटापा कई बीमारियों की वजह है। इससे डायबिटीज सहित हार्ट डिजीज होने की संभावना बनी रहती है। यह रिसर्च स्टडी डेनमार्क के कोपनहेगन यूनिवर्सिटी में हुई। रिसर्च स्टडी में 2,500 वैसे स्त्री-पुरुषों को शामिल किया गया, जिनका वजन ज्यादा था और जिन्हें पहले से डायबिटीज की बीमारी थी। 

क्या परिणाम आया सामने
रिसर्च स्टडी में शामिल सभी लोगों को 8 सप्ताह तक कम कैलोरी वाला डाइट दिया गया। इस दौरान देखा गया कि पुरुषों का वजन औरतों के मुकाबले ज्यादा तेजी से कम हुआ और उनके मेटाबॉलिक सिंड्रोम स्कोर में भी काफी कमी आई। यह डायबिटीज इंडिकेटर है। इससे पता चला कि कम कैलोरी वाला फूड लेने से उन्हें डायबिटीज में फायदा हुआ है। वहीं, उनमें फैट भी कम हुआ और हार्ट रेट में भी सुधार हुआ। जहां तक औरतों का सवाल है, लो कैलोरी फूड से उनमें बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा में कमी आई, उनके हिप की चौड़ाई भी कम हुई और पल्स रेट में पुरुषों से ज्यादा सुधार देखा गया। 

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पुरुषों में देखा गया ज्यादा फायदा
इस स्टडी के मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर पिया क्रिस्टेन्सेन ने कहा कि स्टडी से यह पता चला कि लो कैलोरी डाइट से पुरुषों को ज्यादा फायदा होता है। लेकिन उनका कहना था कि इस अंतर को अच्छी तरह से समझने के लिए लंबे समय तक उन पर लो कैलोरी डाइट के असर को देखना होगा। पर कम समय के पर्यवेक्षण में यह पुरुषों के लिए ज्यादा असरदार साबित हुआ है। डॉक्टर क्रिस्टेन्सेन ने कहा कि 8 सप्ताह तक डायबिटीज से पीड़ित लोगों को लो एनर्जी डाइट देने से में उनके वजन में 10 प्रतिशत की कमी आई और उनके मेटाबॉलिज्म में भी सुधार हुआ। उन्होंने कहा कि यह स्टडी डायबिटीज प्रेवेंशन प्रोग्राम के तहत की गई। यह रिसर्च स्टडी 'जर्नल डायबिटीज, ओबेसिटी एंड मेटाबॉलिज्म' में पब्लिश हुई है। 

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