बच्चा होने के बाद मां की हड्डियां पहले जैसी नहीं रहती है, शोध में खुलासा

कहते हैं जब एक महिला बच्चे को जन्म देती है तो वो उसका दूसरा जन्म होता है। वो जानलेवा प्रसव पीड़ा से गुजरती है। नए शोध में इस बात का खुलासा हुए है कि मां बनने के बाद महिलाओं की हड्डियां पहले जैसी नहीं रहती हैं। उसमें बदलाव आता है।

हेल्थ डेस्क. एक बच्चे को इस दुनिया में लाना आसान बात नहीं होता है। एक मां पूरे 9 महीने उसे गर्भ में रखती है। कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स से गुजरती है। जानलेवा प्रसव पीड़ा के बाद उसे दुनिया में लाती है। मां बनने के बाद महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं। लेकिन एक ताजा शोध में पता चला है कि बच्चा जन्म देने के बाद मां की हड्डियां भी पहले जैसे नहीं रहती है। मानव विज्ञानियों  ( anthropologists ) की एक टीम ने इसे लेकर शोध की। उन्होंने शोध में बताया कि जन्म देने से महिला की हड्डियां स्थायी रूप से बदल जाती है। 

शोधकर्ताओं ने प्राइमेट खासकर मैकाक  (Macaques) पर स्टडी पर किया। जिसमें यह अज्ञात तथ्य सामने आया। मैकाक बंदर का एक प्रकार है। 
मकाक्स और इंसान दोनों ही प्राइमेट की समूह में आते  हैं। इनके 60 करोड़ साल पहले एक ही पूर्वज हुआ करते थे। इसलिए इस अध्ययन को कुछ मायनों में इंसान से भी जोड़कर देखा जा सकता है।इस शोध ने इस मिथक को बदल दिया कि हड्डियां स्थिर होती है। इसके बजाय यह कहा गया कि कंकाल लगातार बदलता है और शारीरिक प्रक्रियाओं का जवाब देता है।

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बच्चा होने पर हड्डियों में खनिज की होती है कमी

बच्चा पैदा होने के बाद मादा मकाक्स में  कैल्शियम, फॉस्फोरस, और मैग्नीशियम की काफी मात्रा में कमी पाई गई थी। इनकी तुलना जब उन मादाओं से की गई जिन्होंने गर्भधारण नहीं किया था। दोनों में अंतर देखा गया। इस शोध में पता चला कि कैसे जीवन में बड़ी घटनाओं का प्राइमेंट्स के हड्डियों के ढांचे के ऊतकों पर सामान्य रूप से असर पड़ता है।

हड्डियां स्थिर नहीं होती है बल्कि इसमें होते हैं बदलाव

शोध को नेतृत्व करने वाली पाओल सेरिटो ने कहा कि हमारे  निष्कर्ष महिला जीव पर प्रजनन के गहन प्रभाव के अतिरिक्त सबूत प्रदान करते हैं। यह बताता है कि कंकाल एक स्थिर अंग नहीं है, बल्कि जीवन के घटनाओं के साथ इसमें बदलाव होता है।खनिजों और पोषक तत्वों की कमी से उनमें बदलाव आते हैं।

बच्चे के विकास के लिए हड्डियों से कैल्शियम लिया जाता है

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कैल्शियम की कमी हो जाती है। क्योंकि उनका शरीर बढ़ते भ्रूण की पोषण संबंधी मांगों को पूरा करती है। पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि गर्भावस्था के दौरान, आंत से कैल्शियम का अवशोषण बढ़ जाता है, और नाल के माध्यम से भ्रूण तक पहुंचाया जाता है। यदि मां के कैल्शियम का सेवन कम है, तो इससे अस्थि खनिज घनत्व कम हो सकता है, जबकि नवजात में हड्डियों की परिपक्वता और खनिज घनत्व (mineral density)प्रभावित हो सकता है।

ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान बोन मास कम हो जाता है

इसके अलावा,ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान महिलाएं अपनी हड्डियों के द्रव्यमान ( bone mass) का करीब 3-5% खो देती हैं। हालांकि इसे स्तनदूध छुड़वाने (वीनिंग) के बाद ठीक किया जा सकता है। ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान दूध कैल्शियम से भरपूर होता है।  ऐसा तब ज्यादा होता है जहां महिला ने पर्याप्त मात्रा में पोषण भरा आहार नहीं लिया हो, वजन कम हो या फिर हड्डियों का घनत्व कम हो। जब मां बच्चे को दूध पिलाती है तो उसके खून में फिर से कैल्शियम आ जाता है जिससे कैल्शियम समृद्ध दूध बन सके।

हड्डियां बच्चा पैदा करने का प्रमाण 
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन दर्शाता है कि प्रजनन क्षमता खत्म होने क बाद भी हड्डी का ढांचा प्रजनन संबंधी स्तर में बदलावों पर प्रतिक्रिया देता है। इसके साथ यह भी नतीजा निकलता है कि मादाओं के अंगों पर बच्चे पैदा करने का खास असर होता है। हड्डियों में जीवन भर बच्चा पैदा करने का प्रमाण अंकित हो जाता है।

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