अब बना इको फ्रेंडली हर्बल सेनेटिरी पैड, पर्यावरण की होगी सुरक्षा

हमारे देश में पिछड़े कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में सेनेटरी पैड के उपयोग को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं हैं। इससे कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। वहीं, मार्केट में अभी जो सेनेटरी पैड्स एवेलेबल हैं, उनका सही ढंग से निस्तारण नहीं हो पाता है और वे बायो मेडिकल कचरे के रूप में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2019 6:44 AM IST / Updated: Dec 14 2019, 12:21 PM IST

हेल्थ डेस्क। हमारे देश में पिछड़े कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में सेनेटरी पैड के उपयोग को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं हैं। इससे कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। वहीं, मार्केट में अभी जो सेनेटरी पैड्स एवेलेबल हैं, उनका सही ढंग से निस्तारण नहीं हो पाता है और वे बायो मेडिकल कचरे के रूप में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। कहा जा रहा है कि अभी जो सेनेटरी पैड्स यूज किए जा रहे हैं, इस्तेमाल के बाद आसानी से उनका डिस्पोजल नहीं हो पाता है। इससे पूरी दुनिया में यह पर्यावरण के लिए एक खतरे के रूप में सामने आ रहा है। बहरहाल, इसके विकल्प के रूप में हाल ही में वैज्ञानिकों ने हर्बल सेनेटरी पैड बनाने में सफलता पाई है। इसका आसानी से डिस्पोजल हो सकेगा और पर्यावरण को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। 

सेनेटरी पैड बन रहा मेडिकल कचरा
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हर साल भारत में करीब 1,13000 सेनेटरी पैड मेडिकल कचरे का सही तरीके से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। वहीं, पूरी दुनिया में यह संख्या करोड़ों में है। ये सेनेटरी पैड पॉलिमर से बने होते हैं, जो आसानी से नष्ट नहीं होते। पर्यावरण पर इनका दुष्प्रभाव पॉलिथीन जैसा ही होता है। 

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हर्बल सेनेटरी पैड होगा डिस्पोजल
पॉलिमर से बने पर्यावरण के लिए नुकसानदेह सेनेटरी पैड के दूरगामी खतरे को देखते हुए न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने हर्बल सेनेटरी पैड बनाने का प्रयास किया और इसमें सफल रहे। इस सेनेटरी पैड का नाम 'फ्लोरिश' रखा गया है, जो इस्तेमाल करने के 3 से 4 महीने के बीच पूरी तरह नष्ट हो जाएगा और मिट्टी में मिल कर खाद बन जाएगा। न्यूजीलैंड में इसका इस्तेमाल शुरू भी हो गया है। इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध दूसरे सेनेटरी पैड्स के बराबर ही है। जल्दी ही यह दुनिया के ज्यादातर देशों में एवेलेबल होगा। 

नैचुरल चीजों से है बनाया गया
'फ्लोरिश' नाम का यह हर्बल सेनेटरी पैड नैचुरल चीजों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। इसे बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने बैम्बू फैब्रिक, केला, नीम, बैम्बू कॉटन और ग्राफीन नैनो मैटेरियल का इस्तेमाल किया है। नीम, बैम्बू फैब्रिक और बैम्बू कॉटन के इस्तेमाल से यह सेनेटरी पैड में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल भी है। इसके इस्तेमाल से किसी तरह का इन्फेक्शन होने का खतरा नहीं रहेगा, जैसा कि पॉलिमर से बने सेनेटरी पैड के यूज से कई महिलाओं को होता है। डॉक्टरों का कहना है कि कई महिलाओं को पॉलिमर से बने सेनेटरी पैड का यूज करने से रैशेज हो जाते हैं और स्किन से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना भी रहती है। लेकिन हर्बल सेनेटरी पैड का इस्तेमाल हर तरह से सुरक्षित होगा।  

   
 

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