पुरुषों के स्पर्म को लेकर वैज्ञानिकों का दंग कर देने वाला खुलासा

स्पर्म की जर्नी को लेकर हाल में एक रिसर्च हुआ है जिसमें हैरान करने वाला खुलासा किया गया है।अमेरिका की नॉर्थ कैरोलीना और कॉन्रेल यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने स्पर्म और प्रेग्नेंसी को लेकर नई बातें बताई हैं।

हेल्थ डेस्क. महिला और पुरुष के बीच जब फिजिकल रिलेशनशिप बनता है तब एक नया जीवन अंकुरित होता है। बॉयोलॉजी के क्लास में सभी ने पढ़ा होगा कि पुरुष का स्पर्म और महिला का एग मिलने से भ्रूण बनता है। ये प्रक्रिया जितना सुनने में आसान लगता है उससे कई गुना ज्यादा जटिलताओं से भरा होता है। इसे लेकर अब तक कई शोध हो चुके हैं। स्पर्म और एग के मिलन को लेकर जो थ्योरी थी उसके मुताबिक करोड़ों स्पर्म एक साथ बाहर आते हैं और इनमें से जो सबसे ताकतवर और तेज होता है जो सभी स्पर्म को पीछे छोड़कर एग तक पहुंचता है वहीं मिलकर भ्रूण बनाता है। लेकिन अब नए रिसर्च में कुछ और बातें सामने आई है।

स्पर्म अकेले नहीं टीम बनाकर आगे बढ़ते हैं

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इस रिसर्च में बताया गया है कि स्पर्म अकेले नहीं बल्कि एक टीम बनाकर दौड़ते हैं। अमेरिका की नॉर्थ कैरोलीना और कॉन्रेल यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने  माइक्रोस्कोप स्लाइड और कुछ लैबोरेटरी इक्विमेंट के जरिए स्पर्म से जुड़ी नई बातों को सामने लाया है। फर्टिलाइजेशन के करीब हर थ्योरी में स्पर्म को एक दूसरे के खिलाफ दौड़ने वाला बताया जाता है। लेकिन इस रिसर्च में कुछ और ही सामने आया है। शोधकर्ता चियांग कुआन टुंग ने बताया कि हमने पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए बैल के स्पर्म को चुना। बैल का स्पर्म पुरुष के स्पर्म से मिलता जुलता है। पुरुष की तरह इसके स्पर्म में भी हेड और टेल होती है।

स्पर्म दो तीन-चार के समूह में आगे बढ़ते हैं

उन्होंने बताया कि जब पुरुष महिला के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बनाते हैं तो एक साथ करोड़ों स्पर्म को छोड़ते हैं। जैसे ही वो छोड़ते हैं स्पर्म की जर्नी शुरू हो जाती है। महिला के ओवरी तक पहुंचने के लिए वो आगे बढ़ते हैं।  इस रिसर्च में देखा गया कि कई स्पर्म दो-तीन या चार के समूह में ओवरी तक पहुंचे की कोशिश कर रहे थे।  असल में स्पर्म्स का एग्स के साथ मिलन का सफर इजी नहीं होता है। इसके रास्ते में कई बाधाएं आती हैं। कुछ स्पर्म्स तो  फीमेल रिप्रोडक्टिव पार्ट्स में मौजूद फ्ल्यूड्स की 
वजह से मर जाते हैं। 

कैसे हुआ रिसर्च

रिसर्च टीम ने बैल के 10 करोड़ स्पर्म्स को एक सिलिकॉन ट्यूब में इंजेक्ट किया। जिसमें वैसा ही फ्ल्यूड्स भरा था जो गायों के यूट्रस में होता है। इसके बाद उन्होंने स्पर्म्स के प्रवाह के लिए एक सिरिंज पंप (बेहद कम मात्रा में दवा देने के लिए उपयोग होने वाली मशीन) का उपयोग किया। इसके बाद देखा गया कि जब फ्ल्यूड्स का प्रवाह नहीं था तब स्पर्म समूह में थे। वो अलग-अलग स्पर्म्स की तुलना में एक सीधी रेखा में बह रहे थे। जब प्रवाह शुरू हुआ तो स्पर्म्स का समूह ऊपर की ओर तैरने लगा। वहीं, सिंगल स्पर्म ऐसा नहीं कर पाएं। तेज धारा में ग्रुप वाले स्पर्म्स सिंगल की तुलना में बेहतर तरीके से फ्ल्यूड्स को पार करते नजर आएं। वहीं, सिंगर स्पर्म फ्ल्यू्ड्स में बह गएं। हर स्थिति में यही पाया गया कि सिंगल स्पर्म आगे नहीं बढ़ पाएं। वो फ्ल्यूड्स की तेज धारा को बर्दाश्त नहीं कर पाएं। 

चियांग ने बताया कि हमने इस पूरे प्रॉसेस इस तरह समझ या जान सकते हैं कि स्पर्म ये तरीका इसलिए अपनाते हैं ताकि उनमें से कम से कम कुछ स्पर्म फीमेल एग तक पहुंच सके।क्योंकि इसके बिना शायद उनमें कोई भी स्पर्म यूट्रस के फ्ल्यूड्स के सामने रह पाता। हमारी रिसर्च इनफर्टिलिटी के उन मामलों का इलाज तलाशने में मदद करेगी जिनका कारण पता नहीं चल पाता है।

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