Research : एक जगह बैठे रहने से बढ़ता है डिप्रेशन का खतरा, फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी

तनाव और डिप्रेशन की समस्या आजकल बढ़ती ही जा रही है। अब बच्चे और किशोर भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। इसे लेकर हाल ही में हुई एक रिसर्च स्टडी से पता चला है कि एक जगह बैठे रहने से यह समस्या बढ़ती है।

हेल्थ डेस्क। तनाव और डिप्रेशन की समस्या आजकल बढ़ती ही जा रही है। अब बच्चे और किशोर भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह एक ऐसी समस्या है जो कब गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले लेगी, यह कहा नहीं जा सकता है। डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाने पर इसका इलाज कठिन हो जाता है। इस समस्या के शिकार बहुत से लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है। किशोरों में मानसिक तनाव और डिप्रेशन को लेकर हाल ही में हुई एक रिसर्च स्टडी से पता चला है कि एक जगह बैठे रहने से यह समस्या बढ़ती है। यह रिसर्च स्टडी लंदन यूनिवर्सिटी में हुई है।

क्या है किशोरों में डिप्रेशन की वजह
बढ़ती प्रतियोगिता और कम उम्र से ही करियर को लेकर चिंता से किशोरों में तनाव और डिप्रेशन की समस्या पैदा होती है। इसके अलावा, अनियमित खान-पान और बदलती जीवनशैली भी इसके लिए जिम्मेदार है। ज्यादा समय तक स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल से भी यह समस्या बढ़ती है। शोध से यह पता चला कि जो किशोर लगातार एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, उनमें भी यह समस्या पैदा हो जाती है। 

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फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी
इस शोध से जुड़े मुख्य रिसर्चर आरोन कंडोला का कहना है कि जो किशोर खेलकूद में हिस्सा लेते हैं, बाहर घूमते हैं और अलग-अलग कामों में व्यस्त रहते हैं, उन्हें तनाव और डिप्रेशन की समस्या जल्दी नहीं होती। वे अपनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होते हैं। पढ़ाई में भी वे अच्छा करते हैं। इसलिए किशोरों के लिए शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना जरूरी है। उन्हें पढ़ाई के अलावा दूसरे कामों में भी रुचि लेनी चाहिए।

खाली नहीं बैठें
शोध में पाया गया कि ऐसे बच्चों और किशोरों की कमी नहीं है, जो घर में सोफे पर खाली बैठे रहते हैं। बहुत से किशोर टीवी देखने में मशगूल रहते हैं या स्मार्टफोन पर गेम खेलते हैं। इससे भी कुछ समय के बाद वे तनाव का शिकार होने लगते हैं। कुछ तो चुपचाप खाली बैठे ही काफी समय गुजार देते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई किशोर एक घंटे तक भी खाली एक ही जगह बैठा रहे, तो वह डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। अभिभावकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उनके बच्चे किसी न किसी काम में व्यस्त रहें और आउटडोर एक्टिविटीज में समय बिताएं। 
 

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