World Suicide Prevention Day: इन 4 वजहों से न डरें, तो नहीं करेंगे सुसाइड, दुनिया में हर 40 सेकंड में एक मौत

वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है। इसका आयोजन इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) करता आाया है।  हाल में NCRB की रिपोर्ट-2021 रिलीज हुई थी। इसके अनुसार, भारत में 2021 में 1.64 लाख के करीब लोगों ने सुसाइड किया।

हेल्थ डेस्क. वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है। इसका आयोजन इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) करता आाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे सपोर्ट है। इसक मकसद  लोगों में सुसाइड की प्रवृत्ति रोकने और इससे जुड़ीं समस्याओं के समाधान की दिशा में सारी दुनिया को साथ लाना है।

इस बार WSPD ने विषय एक्शन के जरिये आशा जगाना(Creating hope through action) रखा है। इस दिन का ओवरऑल टार्गेट दुनियाभर में आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाना है।  घर पर, स्कूल में, कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य पर खुली चर्चा की सुविधा के माध्यम से इस लोगों में सुसाइड की प्रवृत्ति रोकना है। इसमें सुसाइड की कोशिश करने वाले भी अपनी कहानियां सुनाकर दूसरों को निराश होने से बचाते हैं। यानी जिन्होंने सुसाइड की कोशिश की, वे कैसे बचे, कैसे जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए आदि।

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जानिए सुसाइड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट
हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट-2021 रिलीज हुई थी। इसके अनुसार, भारत में 2021 में 1.64 लाख के करीब लोगों ने सुसाइड किया। इनमें ज्यादातर युवा थे। हर आत्महत्या एक त्रासदी कही जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी का अनुमान है कि हर साल लगभग 800,000 लोग आत्महत्या करते हैं। रिसर्च के आधार पर एक्सपर्ट बताते हैं कि दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होती है। इसके पीछे 4 मुख्य कारण हैं।

1.अनट्रीटेड मानसिक बीमारी- यानी जिन मानसिक बीमारियों के बारे में पता ही नहीं चला या किया। जिनक इलाज भी नहीं कराया गया।

2. स्किल की कमी या टेंशन-जिंदगी में परेशानियां आती-जाती रहती हैं। इनसे निपटने में लाइफ स्किल यानी जिंदगी को जीने का नजरिया महत्वपूर्ण होता है। जो कठिनाइयों से जूझने का स्किल रखता है, वो कभी सुसाइड की कोशिश नहीं करता। कई बार लोग मुसीबतों का सामना नहीं कर पाते और डिप्रेशन में चले जाते हैं। यह भी सुसाइड की वजह बन जाता है।

3. मदद को लेकर अनजान-मानसिक परेशानियां होने पर काउंसिलिंग या हेल्पलाइन काफी मददगार साबित होती है। लेकिन कई बार लोग  मजाक बनने या अवेयर नहीं होने से ऐसा नहीं करते हैं। ऐसे लोग सुसाइड जैसा कदम उठाते हैं।

4. डॉक्टरों की मदद-दुनियाभर में 70 प्रतिशत लोग मानसिक परेशानियां होने पर भी डॉक्टर की मदद नहीं लेते। दवाइयां खाने से बचते हैं। ये भी सुसाइड की एक वजह बनती है।

यह फैक्ट्स भी महत्वपूर्ण हैं
विभिन्न स्टडी और रिसर्च के अनुमान के अनुसार, लाखों लोग अत्यधिक दुःख सहते हैं या आत्मघाती व्यवहारों से गहराई से प्रभावित होते हैं। यानी ऐसे लोग आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं।

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 1,64,033 भारतीयों ने सुसाइड की। नेशनल सुसाइड रेट 12 (प्रति लाख जनसंख्या पर गणना) के साथ, 1196 के बाद से सबसे अधिक है। 2020 की तुलना में 2021 के दौरान आत्महत्याओं में 7.2% की वृद्धि हुई, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले थे। इसके बाद तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक हैं।

ऐसे पहचानें सुसाइड करने की स्थिति वाले लोग-दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में रुचि की कमी, सामाजिक दायरे से हटना, व्यक्तिगत देखभाल में कमी, भूख में कमी, नींद में खलल, बेकार महसूस करना, शर्म, अपराधबोध और आत्म-घृणा जैसे लक्षण सुसाइड की प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।

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