भारत के यंग जनरेशन पर मंडरा रहा है हार्ट का खतरा, कारण जानकर हो जाए सावधान

बॉलीवुड सिंगर  कृष्णकुमार कुन्नाथ (केके), सिद्धार्थ शुक्ला, पुनीत राजकुमार जैसे यंग सितारे हार्ट अटैक की वजह से इस दुनिया को असमय छोड़कर चले गए। इन घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है यंग उम्र में दिल की बीमारी तेजी से फैल रहा है। इसके पीछे  क्या वजह है आइए जानते हैं।
 

Nitu Kumari | Published : Jun 3, 2022 11:06 AM IST

हेल्थ डेस्क: भारत में कोरोनरी आर्टरी डिजिज (सीएडी) का मामला बढ़ता जा रहा है। हाल में सामने आए वैज्ञानिक रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। भारतीयों में सीएडी (CAD) की दर किसी भी अन्य  जातीय समूह की तुलना में 50-400 प्रतिशत ज्यादा है। पश्चिम में सीएडी के मामले पिछले तीन दशकों में आधा हो गया है। जबकि भारत में सीएडी (Coronary Artery Disease )  रेट दोगुना हो गया है। इसमें कमी होने के भी कोई संकेत नहीं है। इतना ही नहीं भारतीयों में पहली बार दिल का दौरा पड़ने की औसत उम्र में 20 साल की कमी आई है। यानी कम उम्र के नौजवान भी इसके शिकार हो सकते हैं। यह एक तरह का त्रासदी है। 

अमीरों की बीमारी अब सबको ले रहा अपनी जद में

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भारतीय पुरुषों में पहला दिल का दौरा 50 वर्ष से कम आयु के 50% और 40 वर्ष से कम आयु में 25% में हुआ। इतना ही नहीं सीएडी बीमारी को पहले अमीर वर्ग से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन हाल में पाया गया है कि यह मध्यमवर्गी और गरीब लोगों को भी यहां तक की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भी दिल की बीमारी जकड़ रही है। लेकिन अनुपात अभी भी शहरी क्षेत्रों से कम है। ग्रामीण क्षेत्र में जहां इस बीमारी से 3 से 4 प्रतिशत लोग शिकार होते हैं वहीं शहरी क्षेत्रों में 8 से 10 प्रतिशत फैलाव होता है। 

इतना ही नहीं पश्चिमी आबादी की तुलना में सभी तीन कोरोनरी आर्टरी डिजिज भारतीयों में फैलने की तीव्रता अधिक है। कोविड महामारी के बीच दिल की बढ़ती बीमारी से लोगों की परेशानी और भी बढ़ गई है।

लाइफस्टाइल में बदलाव इस बीमारी के फैलने का कारण

तीन कोरोनरी आर्टरी डिजिज के पीछे की वजह स हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और धूमपान होते हैं। ये सभी चीजें पश्चिमी देशों के लोगों में होता था। भारत में बहुत कम लोगों में ये समस्याएं होती थी। फिर सवाल की सीएडी भारत में तेजी से क्यों फैल रहा है। इसके पीछे वजह हमारी आज की लाइफस्टाइल है। भारत आज सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव से गुजर रहा है। 

तीन दशकों में जीवनशैली में अहम बदलाव हुए

ग्लोबलाइजेशन की वजह से तीन दशको में जीवनशैली और खानपान में काफी बदलाव हुए हैं। शारीरिक गतिविधियां कम हुई है, खान पान में सुगर और ट्रांस वसा की मात्रा ज्यादा लेने लगे हैं। यानी फास्ट फूड की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा हुआ है। काम का प्रेशर बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से लोग मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, सुगर ,कोलेस्ट्रॉल के शिकार हो रहे हैं। ये सभी बीमारियों की वजह से रक्त में क्लॉथ का निर्माण होता है जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ता है। इतना ही नहीं इसकी वजह से और भी बीमारियां जकड़ती है जिसमें कैंसर, स्ट्रोक, मानसिक अवसाद, बालों का झड़ना, यौन कामेच्छा में कमी है। सीएडी आनुवंशिक कारणों से भी होता है। 

पश्चिमी देशों में सीएडी के मामले घटें

भारतीय अप्रवासियों में अपने अमेरिकी समकक्षों की तुलना में CAD की 4 गुना अधिक घटना होती है। जिसके पीछे आनुवंशिक कारण जिम्मेदार है। जापान, चीन, अमेरिका, में सीएडी की दर में कमी आई है। इसके पीछे वजह है उनका खुद में बदलवा। वो अच्छे कोलेस्ट्रॉ वाले भोजन पर ध्यान दे रहे हैं। शारीरिक श्रम के प्रति काम कर रहे हैं। 

सीएडी से बचने के उपाय
-खानपान में बदलाव जरूरी है।  कम वसा एवं हाई फाइबर युक्त आहार (जैसे ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज) का सेवन करें। नमक की खपत दिन में 6 ग्राम से अधिक न करें।

-नियमित रूप से व्यायाम करें।वर्कआउट से हार्ट को रक्त संचार बढ़ाने में मदद मिलेगी, कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होगा और ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा।

-धूम्रपान, तंबाकू का सेवन सीएडी के लिए प्रमुख रिस्क फैक्टर्स में से एक है। इसलिए इसे अपने जीवन से अलग कर दें। शराब का सेवन कम करें।

-ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर आदि को नियंत्रण में रखें। ज्यादा चिंता ना करें और काम से टाइम निकालकर वो चीजें करें जिससे आपको खुशी मिलती है।

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