कोरोनावायरस को खत्म करेगी 'मेड इन इंडिया' जायडस कैडिला की मेडिसिन, रेग्युलेटर से मांगी मंजूरी

देश में कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता चला जा रहा है। इसके साथ ही वैक्सिनेशन का काम भी बड़े पैमाने पर जारी है। फिलहाल, अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडल कैडिला (Zydus Cadila) ने यह दावा किया है कि उसने कोविड-19 का इलाज करने की दवा खोज ली है। इस दवा का फेज-3 का क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है।

Manoj Jha | Published : Apr 6, 2021 4:50 AM IST / Updated: Apr 06 2021, 10:46 AM IST

हेल्थ डेस्क। देश में कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता चला जा रहा है। इसके साथ ही वैक्सिनेशन का काम भी बड़े पैमाने पर जारी है। फिलहाल, अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडल कैडिला (Zydus Cadila) ने यह दावा किया है कि उसने कोविड-19 का इलाज करने की दवा खोज ली है। इस दवा का फेज-3 का क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है। क्लिनिकल ट्रायल में PegIFN नाम की यह दवा 91 फीसदी तक असरदार साबित हुई है। कंपनी ने अब इस मेडिसिन को मार्केट में लाने के लिए रेग्युलेटर से अप्रूवल मांगा है।

जानें दवा और कंपनी के दावे के बारे में
जायडस कैडिला का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया गया। यह ट्रायल दिसंबर 2020 में शुरू किया गया था। करीब 250 कोरोना मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया गया। दरअसल, यह कोई नई थेरेपी नहीं है। पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b को साल 2011 में हेपेटाइटिस C का इलाज करने के लिए भारतीय बाजार में उतारा गया था। तब से इस दवा का इस्तेमाल क्रॉनिक हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C के मरीजों के इलाज के लिए किया जा रहा है।

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क्या है इस दवा का असर
कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, PegIFN देने पर कोरोना के 91.15 फीसदी मरीजों का 7 दिन में ही RT PCR नेगेटिव पाया गया। वहीं, इसकी तुलना में स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SOC) से ट्रीटमेंट कराने पर 78.90 फीसदी मरीज ही 7 दिन में RT PCR नेगेटिव हो सके। कंपनी का यह भी कहना है कि PegIFN देने पर 56 घंटे ही ऑक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड ऑफ केयर में 84 घंटे ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। इस दवा में सिंगल डोज में ही मरीजों की हालत में काफी सुधार हो रहा है। 

कंपनी ने मांगा अप्रूवल
कंपनी ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से कोविड-19 के इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल किए जाने की इजाजत मांगी है। बता दें कि नियमों के तहत ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी सबसे पहले कंपनी के दावे की जांच करेगी। फेज-3 ट्रायल्स के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद ही वह अपनी सिफारिश रेग्युलेटर को देगी। इसके बाद इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है। इससे पहले भी रेमडेसिविर जैसी दवाओं के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति रेग्युलटर द्वारा दी जा चुकी है। 

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