बापू के नेतृत्व में देश का पहला आंदोलन था चंपारण सत्याग्रह, हिल उठी थी अंग्रेजी सत्ता

महात्‍मा गांधी ने भारत में अपने आंदोलन की शुरुआत बिहार के चंपारण से की थी। वह नील की खेती करने वाले किसानों की समस्या दूर करने चंपारण पहुंचे थे। अंग्रेज किसानों को अपनी जमीन के  3/20 भाग पर अनिवार्य रूप से नील की खेती करने के लिए कहते थे।

Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2022 8:01 AM IST

नई दिल्ली। भारत अपनी आजादी का 75वां वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर हम आपको चंपारण सत्याग्रह के बारे में बता रहे हैं। इसका महात्‍मा गांधी को देश के करीब लाने और सत्याग्रह जैसे आजादी की लड़ाई के नए हथियार को मजबूती प्रदान करने में अमूल्य योगदान है।

महात्मा गांधी 1915 में भारत आए थे। गांधी जी को उनके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने सलाह दी थी कि भारत का भ्रमण करो, अपने आंखे और कान खुली रखना। इसके बाद महात्मा गांधी ने भारत का भ्रमण किया। गांधी जी ने 1916 में लखनऊ में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया। इसी अधिवेशन में राज कुमार शुक्ल ने चंपारण के किसानों की समस्या से गांधी जी को रूबरू कराया था। इसके बाद वह बिहार आने के लिए राजी हो गए थे। 

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चंपारण सत्याग्रह के जरिए देश के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का जुड़ना एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसी सत्याग्रह से अहिंसा के रूप में आजादी की लड़ाई को एक नया हथियार मिला। महात्मा गांधी ने स्वच्छता का संदेश भी दिया। महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 को बिहार के चंपारण पहुंचे। यहां पर अंग्रेज किसानों को अपनी जमीन के  3/20 भाग पर अनिवार्य रूप से नील की खेती करने के लिए कहते थे। इसे तिनकठिया पद्धति भी कहा जाता है।
 
नील की खेती से जमीन हो जाती थी बंजर
नील की खेती सबसे पहले बंगाल में 1777 में शुरू हुई थी। यूरोप में ब्लू डाई की अच्छी मांग होने के चलते नील की खेती करना आर्थिक रूप से लाभदायक था, लेकिन इसके साथ समस्या यह थी कि जहां पर नील की खेती होती वह जमीन बंजर हो जाती थी।
 
गांधी जी के पास दुख-दर्द बताने पहुंचे थे लोग
चंपारण पहुंचने पर गांधी जी का भव्य स्वागत हुआ था। वहां के लोग अपना दुख-दर्द बताने के लिए उनके पास पहुंचे थे। इसके बाद गांधी जी ने कुछ नेताओं के साथ मिलकर के गांवों का सर्वेक्षण किया और लोगों को जागरूक करने में जुट गए। गांधी जी ने अपने कई स्वयंसेवकों को किसानों के बीच भेजा। किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गए। इससे गांधी जी की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। 

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ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा
गांधी जी की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर ब्रिटिश सरकार बौखला गई। गांधी जी पर समाज में असंतोष फैलाने के आरोप लगाकर चंपारण छोड़ने का आदेश दिया गया, लेकिन गांधी जी ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद गांधी जी को अदालत में पेश किया गया। जनता का व्यापक समर्थन देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उन्हें बिना जमानत छोड़ने का आदेश दे दिया। 

गांधी जी अपने लिए कानून अनुसार उचित सजा की मांग करते रहे। उस समय पूरे भारत की नजर चंपारण पर टिकी हुई थी। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और एक जांच आयोग की नियुक्त हुई। जांच आयोग की रिपोर्ट से गांधी जी को जीत मिली। अंग्रेज अवैध वसूली का 25 फीसदी वापस करने के लिए राजी हुए। महात्मा गांधी का यह भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयास था।

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