दांडी मार्च: बापू ने नमक कानून तोड़कर हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव

महात्मा गांधी ने 1930 में नमक सत्याग्रह शुरू किया था। इस आंदोलन के दौरान 8,000 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया था। इसके जरिए महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी।

Asianet News Hindi | Published : Mar 25, 2022 7:28 PM IST

नई दिल्ली। भारत अपनी आजादी का 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह मौका हर भारतवासी के लिए खास है। हमें आजादी यूं ही नहीं मिली। इसके लिए लाखों वीर सपूतों ने अपनी जान न्योछावर कर दी। आजादी की लड़ाई में दांडी मार्च (Dandi March) का खास स्थान है। इस मार्च के जरिए महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी। 

चंपारण, खेड़ा सत्याग्रह और अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन में महात्मा गांधी के विरोध के आगे अंग्रेजी शासन ने घुटने टेक दिये थे। उनकी लोकप्रियता पूरे देश में फैल चुकी थी। महात्‍मा गांधी ने देश के आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया था, जिसकी वजह से ब्रिटिश सरकार बौखला गई थी। वह हर काम को बड़ी ही शांति और सादगी से करना पसंद करते थे। 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नमक पर टैक्स लगा दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के ख‍िलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। इस दौरान गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन में नमक कानून को तोड़ने का फैसला लिया गया था।
 
6 अप्रैल को गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा
12 मार्च 1930 को नमक कानून को तोड़ने के लिए महात्मा गांधी 78 समर्थकों के साथ साबरमती आश्रम से नवसारी (दांडी) तक पैदल यात्रा प्रारंभ की थी। 24 दिन में 390 किलोमीटर पैदल चलकर वह 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचे और सुबह 6:30 बजे नमक कानून तोड़ा। गांधी जी द्वारा नमक कानून तोड़ने से यह आंदोनल पूरे देश में फैल गया था। लोग ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सड़कों पर उतर गए थे।

विश्व सहानुभूति का कामना करता हूं
नमक कानून तोड़ने के बाद गांधी जी ने कहा था कि शक्ति के विरुद्ध अधिकार के इस युद्ध में मैं विश्व सहानुभूति का कामना करता हूं। गांधी जी की यात्रा की तुलना मोतीलाल नेहरू ने भगवान श्रीराम की लंका यात्रा के की थी। उन्होंने कहा था कि भगवान राम की लंका यात्र के समना आपकी यह यात्रा चिरस्मरणीय रहेगी।
   
सत्याग्रहियों ने खाई थी अंग्रेजों की लाठियां 
नमक कानून तोड़ने के चलते सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थीं, लेकिन वे पीछे नहीं मुड़े। इस आंदोलन के दौरान 8,000 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें सी. राजगोपालचारी और पंडित नेहरू जैसे आंदोलनकारी शामिल थे।

गांधी-इरविन के बीच समझौते से खत्म हुआ था आंदोलन
नमक आंदोलन पूरे एक साल तक चला था। यह 1931 को गांधी-इरविन के बीच हुए समझौते से खत्म हुआ था। इस आंदोलन ने संपूर्ण देश में अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक जन संघर्ष को जन्म दिया था। गांधीजी के साथ सरोजनी नायडू ने भी नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

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