India@75: जानें कौन हैं अगस्त क्रांति की सूत्रधार अरूणा आसफ अली

Published : Jul 07, 2022, 01:41 PM IST
India@75: जानें कौन हैं अगस्त क्रांति की सूत्रधार अरूणा आसफ अली

सार

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अगस्त क्रांति का आह्वान अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल था। इस आंदोलन में अरूणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई धार दी। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह एहसास दिला दिया कि भारत के लोग सिर्फ आजादी चाहते हैं। 

नई दिल्ली. 9 अगस्त 1942 भारत के स्वतंत्रता संग्राम इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन था। मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में हुआ। उस सम्मेलन ने भारत छोड़ो संघर्ष शुरू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसके बाद पूरे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ जबरजस्त माहौल बना। 

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने दिया स्पष्ट आह्वान था कि करो या मरो। गांधीजी ने कहा कि तब तक आराम मत करो, जब तक अंग्रेज भारत छोड़ नहीं देते। गांधीजी के भाषण के बाद एक 33 वर्षीय महिला ने भारतीय तिरंगा फहराया। जिस पर तब प्रतिबंध लगा दिया गया। वह वीर महिला थीं अरुणा आसफ अली। जिन्हें बाद में क्वीन आफ अगस्त क्रांति कहा जाने लगा। 

कौन थीं अरूणा आसफ अली
पंजाब के कालका में प्रमुख ब्रह्म समाजी बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मी अरुणा गांगुली कॉलेज में पढ़ते समय भी स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिया हो गई थीं। वे बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की थीं। अरूणा ने घर-परिवार के लोगों के भारी विरोध के बावजूद प्रमुख कांग्रेसी नेता आसफ अली से विवाह कर लिया। आसफ अली उनसे कई साल बड़े थे और मुस्लिम धर्म के थे, इसके बावजूद अरूणा ने शादी की। बाद में नमक सत्याग्रह में शामिल होने की वजह से अरूणा आसफ अली को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया, जहां अरूणा ने राजनैतिक बंदियों के अधिकारों को लेकर अनशन भी किया। बाद में उन्हें सबसे अलग रखा जाने लगा। 

सोशलिस्ट पार्टी में हुईं शामिल
रॉयल इंडियन नेवी में विद्रोह का समर्थन करने वाली वे एकमात्र प्रमुख कांग्रेस नेता रहीं। बाद में वे वामपंथी विचारधारा के प्रभाव में आईं और कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं। अरूणा आसफ अली ने जय प्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया के साथ भी कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। जब वह भूमिगत हो गई तो अरुणा की संपत्ति जब्त कर ली गई। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें पकड़ने के लिए 5000 रुपये का इनाम घोषित किया। आजादी के बाद अरुणा आसफ अली कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं। वे दिल्ली की पहली मेयर बनीं और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने प्रमुख पत्रकार एडथट्टा नारायणन के साथ पैट्रियट और लिंक जैसे प्रकाशन भी शुरू किए। अरुणा ने लेनिन पुरस्कार, नेहरू पुरस्कार और पद्म विभूषण पुरस्कार भी प्राप्त किया था। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की महान नेता अरुणा आसफ अली का 1997 में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

यह भी पढ़ें

India@75:श्यामजी कृष्ण वर्मा ऐसे प्रवासी भारतीय जिन्होंने विदेश से लड़ी भारत की आजादी की लड़ाई
 

PREV

Recommended Stories

JEECUP Admit Card 2024 released: जेईईसीयूपी एडमिट कार्ड जारी, Direct Link से करें डाउनलोड
CSIR UGC NET 2024 रजिस्ट्रेशन लास्ट डेट आज, csir.nta.ac.in पर करें आवेदन, Direct Link