India@75: 19वीं शताब्दी के सबसे बड़े संपादक थे बैरिस्टर जीपी पिल्लई, मात्र 39 साल की उम्र में निधन

Published : Aug 05, 2022, 02:53 PM IST
India@75:  19वीं शताब्दी के सबसे बड़े संपादक थे बैरिस्टर जीपी पिल्लई, मात्र 39 साल की उम्र में निधन

सार

भारतीय स्वतंत्रता (Indian Freedom Movement) के आंदोलन में अखबारों ने जनजागरण फैलाने का बड़ा काम किया था। कई अखबार तो ऐसे थे, जिन्होंने अंग्रेजी नीतियों के खिलाफ जमकर लिखा और पूरे देश में अंग्रेजों की खिलाफ अभियान चलाया। 

India@75: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बैरिस्टर जीपी पिल्लई ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें मात्र 18 साल उम्र में इसलिए निर्वासित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लिखा था। बैरिस्टर जीपी पिल्लई तिरुविथमकूर के आधुनिक लोकतांत्रिक आंदोलन के जनक थे। वे 19वीं सदी के सबसे प्रमुख भारतीय संपादकों में एक थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर लिखा। भारत में अंग्रेजी लिखने वाले वे राष्ट्रवादी संपादक थे महात्मा गांधी के सलाहकार भी रहे।

कौन थे जीपी पिल्लई
गोविंदन परमेश्वरन पिल्लई या बैरिस्टर जीपी पिल्लई का जन्म 1864 में तिरुवनंतपुरम में हुआ था। जब वे कॉलेज के छात्र थे तो समाचार पत्रों में तिरुविथमकूर की शाही सरकार और उसके दीवान के खिलाफ उग्र लेख लिखते थे। इससे दीवान वेम्बौकुम रमींगर नाराज हो गए और पिल्लई को कॉलेज से निकाल दिया गया। इस घटना ने उन्हें थिरुविथामूर छोड़ने और मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने के लिए चेन्नई जाने के लिए मजबूर किया। चेन्नई में पिल्लई दक्षिण भारत के पहले अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र मद्रास स्टैंडर्ड के संपादक बने। बाद में वह अखबार ब्राह्मण विरोधी आंदोलन का मुखपत्र बन गया।

कई सामाजिक सुधारों में अग्रणी
जीपी पिल्लई 1891 के मलयाली स्मारक के वास्तुकारों में से एक थे। उन्होंने तिरुविथमकूर के आधुनिक राजनीतिक भेस आंदोलन की शुरुआत को शुरू किया था। पिल्लई ने थिरुविथमकूर में सार्वजनिक क्षेत्र का शुभारंभ सरकारी सेवा में गैर-मलयाली ब्राह्मणों के एकाधिकार का विरोध करके किया। तब उन्होंने 10,000 से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन जारी किया। पिल्लई को स्वामी विवेकानंद और डॉ. पाल्पू द्वारा लंदन में थिरुविथमकूर की पिछड़ी जातियों द्वारा सामना की जाने वाली दिक्कतों के खिलाफ ब्रिटिश संसद से भी सवाल किया। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में भी लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका में पिल्लई ने उनका बड़ा समर्थन किया था।

मात्र 39 वर्ष की आयु में हुआ निधन
1898 में लंदन से स्नातक करने के बाद पिल्लई बैरिस्टर बन गए। उनकी पुस्तकों में प्रतिनिधि भारतीय, भारतीय कांग्रेसी, लंदन और पेरिस, त्रावणकोर के लिए त्रावणकोर आदि शामिल हैं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम की अदालत में अभ्यास शुरू किया और एक साल बाद ही पिल्लई की मात्र 39 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

यहां देखें वीडियो

यह भी पढ़ें

India@75: मदर इंडिया से बॉर्डर तक, आजादी के 75 सालों में बनी इन 15 फिल्मों को भुला पाना नामुमकिन
 


 

PREV

Recommended Stories

JEECUP Admit Card 2024 released: जेईईसीयूपी एडमिट कार्ड जारी, Direct Link से करें डाउनलोड
CSIR UGC NET 2024 रजिस्ट्रेशन लास्ट डेट आज, csir.nta.ac.in पर करें आवेदन, Direct Link