India@75: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे मशहूर उद्योगपति जमनालाल बजाज, गांधीजी मानते थे अपना बेटा

हमारा देश आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए न जाने कितने लोगों ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। उन्हीं में से एक थे देश के मशहूर उद्यमी जमनालाल बजाज। 

नई दिल्ली. जमनालाल बजाज सबसे प्रमुख उद्योगपति थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साम्राज्यों में से एक बजाज समूह के संस्थापक रहे जमनालाल को महात्मा गांधी ने अपना पांचवां पुत्र बताया था।

कौन थे जमनालाल बजाज
जमनालाल का जन्म 1889 में राजस्थान के सीकर में एक धनी मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उन्हें वर्धा, महाराष्ट्र के एक रिश्तेदार और अमीर व्यापारी सेठ बछराज ने गोद लिया था और बच्चे की तरह पाला था। जमनालाल पहले अपने दत्तक पिता के व्यवसाय में शामिल हुए और बाद में अपनी खुद की चीनी मिल की स्थापना की। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने इतना दान दिया था कि ब्रिटिश सरकार ने जमनालाल को राय बहादुर की उपाधि से सम्मानित किया।

Latest Videos

भारतीय आंदोलन में हुए शामिल
दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गांधी की वापसी और स्वतंत्रता संग्राम को संभालने के साथ कई भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों में वे शामिल रहे। वह गांधी और उनके आदर्शों के प्रबल प्रशंसक बन गए। फिर जमनालाल बजाज कांग्रेस में शामिल हो गए और पत्नी जानकीदेवी के साथ गुजरात के साबरमती में गांधी आश्रम में रहने लगे। 1920 में जमनालाल ने कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन की स्वागत समिति का नेतृत्व किया। जमनालाल ने अगले साल असहयोग आंदोलन में भाग लिया और अपनी राय बहादुर की उपाधि अंग्रेजों को लौटा दी। उन्होंने ध्वज सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया और गिरफ्तारी दी। 1931 में जब गांधीजी ने साबरमती आश्रम छोड़ा तो जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी को अपने गांव वर्धा में दान की गई भूमि पर नया आश्रम शुरू करने के लिए राजी किया। वहीं पर गांधीजी का सेवाग्राम आश्रम बना। जमनालाल 1930 के दशक के दौरान कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और पार्टी कोषाध्यक्ष भी बने।

52 साल की उम्र में हुआ निधन
जमनालाल अस्पृश्यता के खिलाफ गांधीवादी अभियानों में शामिल रहे। वे खादी और हिंदी के प्रचार के लिए भी सक्रिय थे। उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ अभियान चलाया। 1928 में उन्होंने वर्धा में अपने परिवार के मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर को दलितों के लिए खोलकर रूढ़िवादी परंपरा को तोड़कर इतिहास रच दिया। जमनालाल हिंदू मुस्लिम एकता में भी सबसे आगे थे और दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक कोषाध्यक्ष थे। वह अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन और दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के संस्थापकों में से थे। 1942 में 52 साल की उम्र में जमनालाल का निधन हो गया। वर्तमान में जमनालाल बजाज द्वारपा स्थापित बजाज समूह की मार्केट कैप वैल्यू 8 लाख करोड़ से ज्यादा है।

यहां देखें वीडियो

यह भी पढ़ें

India@75: युद्ध के मैदान में जनरल मोहन सिंह ने किया था आजाद हिंद फौज के जवानों का नेतृत्व

Share this article
click me!

Latest Videos

Google CEO सुंदर पिचाई ने Donald Trump को किया फोन, बीच में शामिल हो गए Elon Musk और फिर...
महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, चौंका रहे एग्जिट पोल। Maharashtra Jharkhand Exit Poll
अडानी पर लगा रिश्वतखोरी का आरोप, बॉन्ड पेशकश रद्द! जानें क्या है पूरा मामला?
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!
UP By Election: Meerapur ककरौली SHO ने Muslim महिलाओं पर तान दी पिस्टल। Viral Video। Akhilesh Yadav