1971 की जंग में 3 दिसंबर की रात अगरतला में अल्बर्ट एक्का ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी। एक्का और उनके साथियों ने अगरतला को पाकिस्तानी सेना के कब्जे में जाने से बचा लिया था।
नई दिल्ली। भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए। आजादी के बाद भारत ने कई चुनौतियों का सामना किया। चीन और पाकिस्तान से कई जंग हुए। इन लड़ाइयों में भारत के वीर सपूतों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। आज हम ऐसे ही एक वीर योद्धा अल्बर्ट एक्का के बारे में बता रहे हैं। 1971 की जंग में उन्होंने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी। उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
बचपन से था सेना में भर्ती होने का शौक
अल्बर्ट एक्का का जन्म 1942 में झारखंड के गुमला जिले के जरी गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही सेना में भर्ती होने का शौक था। 1962 में वह बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। उनकी तैनाती 14 गार्ड्स में हुई थी। उनकी वीरता को देखते हुए उन्हें लांस नायक बनाया गया था।
पाकिस्तान ने बनाई थी अगरतला पर हमले की योजना
1971 की जंग में अल्बर्ट एक्का ने अहम रोल निभाया था। पाकिस्तान ने अगरतला पर बड़े स्तर का आक्रमण करने की योजना बनाई थी। अल्बर्ट एक्का को अगरतला बचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। 3-4 दिसंबर की रात अल्बर्ट एक्का और उनके साथियों ने पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भीषण युद्ध लड़ा था। गंगासागर रेलवे स्टेशन के पास हुए इस जंग में भारत के वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी।
जख्मी होने के बाद भी किया हमला
तीन दिसंबर की रात भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना की भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा था। एक्का ने दुश्मन के बंकर पर हमला कर दिया था। इस दौरान वह जख्मी हो गए, लेकिन बंकर में छिपे पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया। इसी दौरान एक इमारत से गोली चली तो उन्होंने उसपर ग्रेनेड फेंका। इसके बाद दीवार चढ़कर ऊपर गए और गोली चला रहे पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया।
इस लड़ाई में अल्बर्ट एक्का और उनके कई साथी शहीद हो गए थे। सभी शहीदों को वहीं श्रीपल्ली गांव में दफना दिया गया था। इस युद्ध में हारने के बाद पाकिस्तान पूरी तरह से धराशाई हो गया था। उसे 16 दिसंबर को भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा था। एक्का को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।