India@75: कौन थे कालीकट में पुर्तगालियों को रोकने वाले कुंजली मराक्कर्स, क्या थी उनकी ताकत

Published : Jul 03, 2022, 03:40 PM IST
India@75: कौन थे कालीकट में पुर्तगालियों को रोकने वाले कुंजली मराक्कर्स, क्या थी उनकी ताकत

सार

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिन्होंने प्रतिशोध जताया, उनमें मराक्कर्स का नाम भी आता है। वे कभी पुर्तगालियों के सहयोगी थे लेकिन बाद में पक्के दुश्मन बन गए।  

नई दिल्ली. कालीकट में पुर्तगालियों का विरोध करने वाली टीम-कुंजली मराक्कर्स के बारे में, उनकी वीरता के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। कोरोमंडल तट पर नागपट्टिनम में ही मराक्करों की जड़ें थीं। उन्होंने 15वीं और 16वीं शताब्दी में मालाबार और सीलोन के साथ होने वाले व्यापार को नियंत्रित किया था। बाद में उनका एक समूह 16वीं शताब्दी में पहले कोच्चि गया फिर वे कोझिकोड चले गए। 

क्या थी मराक्कारों की ताकत
कोझीकोड के समुथिरी राजा ने मराक्कारों को अपने नौसैनिक कमांडरों के तौर पर नियुक्ति दी। वे लाल सागर बंदरगाह पर होने वाले विदेशी काली मिर्च व्यापार की देखरेख करते थे। तब उन्हें कुंजली मराक्कर की उपाधि से सम्मानित किया जाता था। वे न केवल व्यापार में बल्कि नौसैनिक युद्ध में भी दक्ष होते थे। वे दुश्मन के जहाजों पर अचानक छापे मारने में भी माहिर थे।

पुर्तगालियों के दुश्मन बने
मराक्कर पुर्तगालियों के पूर्व व्यापारिक सहयोगी थे लेकिन जल्द ही वे कट्टर दुश्मन बन गए। कुंजालिस ने पुर्तगालियों के खिलाफ समुथिरी के प्रतिरोध का मोर्चा संभाल लिया। छोटे और तेज बहाव वाले जहाजों पर उन्होंने धीमी गति से चलने वाले पुर्तगाली नौकायन जहाजों पर आश्चर्यजनक हमले किए। पुर्तगालियों के खिलाफ कोझीकोड के सदियों पुराने प्रतिरोध के पीछे कुंजालिस लोगों की ही ताकत थी।

16वीं शताब्दी में हुआ पतन
16वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में समुथिरी और कुंजालिस का पतन देखा गया। कुंजलिस की असाधारण शक्ति और धन से समुथिरी चिंतित थे। अवसरवादी पुर्तगालियों ने जल्द ही कुंजालिस के खिलाफ समुथिरी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करा लिए। पुर्तगालियों और समुथिरियों के संयुक्त हमले में कुंजलियों काफी नुकसान पहुंचा। फिर पुर्तगालियों ने कब्जा कर लिया और अपने खतरनाक दुश्मन को गोवा ले गए। वहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया। उन्होंने उनके शव को टुकड़ों में काट दिया और उसके सिर को मालाबार में प्रदर्शित करने और आतंकित करने के लिए लाया गया। लेकिन माना जाता है कि यह आक्रमणकारियों की विजय थी जिसने मालाबार के लोगों के बीच फूट डाल दी थी। 

वीडियो यहां देखें

यह भी पढ़ें

India@75: भारतीय रसायन विज्ञान के जनक पीसी रे, भारतीयों में जगाया स्वाभिमान, अंग्रेजों ने भी माना था लोहा

PREV

Recommended Stories

JEECUP Admit Card 2024 released: जेईईसीयूपी एडमिट कार्ड जारी, Direct Link से करें डाउनलोड
CSIR UGC NET 2024 रजिस्ट्रेशन लास्ट डेट आज, csir.nta.ac.in पर करें आवेदन, Direct Link