चमत्कारी घटना: मालिक की मौत पर श्मशान पहुंचा बैल, शव को चूम अर्थी के लगाए परिक्रमा, आंख से बहे आंसू

झारखंड के हजारीबाग में एक चमत्कारिक घटना हुई है। यहां एक मालिक की मौत पर उसका बैल श्मशान घाट में पहुंचा और अर्थी के परिक्रमा लगाए। बैल को तीन महीने पहले उसके मालिक ने दूसरे गांव के किसान को बेच दिया था। 

Pawan Tiwari | Published : Sep 11, 2022 10:11 AM IST

हजारीबाग. झारखंड के हजारीबाग में एक अनोखा मामला सामने आया है। आम तौर पर कहा जाता है की जानवर बफादर होते है। इंसान और जानवरों के बीच आपसी प्रेम की कई कहानी भी हमने सुनी है, लेकिन हजारीबाग में एक बछड़े के अपने मालिक के प्रति प्रेम देख सब आश्चर्यचकित रह गए।

मालिक के मौत के बाद श्मशान घाट पहुंच गया बछड़ा
बताया जाता है कि हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के पपरो में शनिवार को एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसे देख और सुनकर हर कोई चर्चा कर रहा है। दरअसल, अपने मालिक की मौत पर एक बछड़े ने श्मशान घाट आ कर खूब रोया ही नहीं, बल्कि चिता पर रखे शव का पांच बार ग्रामीण और परिवार वालों के साथ परिक्रमा किया।

 

तीन माह पहले बछड़े को मेवालाल ने बेच दिया था
पूरा मामला ग्राम पपरो का है, जहां मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई थी। जिसके पास एक गाय थी। गाय ने एक बछड़ा दिया। उसने बछड़ा को 3 माह पहले दूसरे गांव के किसान को बेच दिया। जब मेवालाल ठाकुर की मौत हो गई तो वह बछड़ा गांव पहुंच गया और रोने लगा। यही नहीं उसके अर्थी पर रखे शव के माथे और पैर को भी चूमा। तब तक वह वहां से नहीं हटा जब तक उसका पाथिर्व शरीर पंचतत्व में विलीन न हो गया।

कपड़े से ढके शव से कपड़ा हटा सर को चूमा फिर पैर के पास जाकर रोने लगा
मालिक के मौत के बाद श्मशान घाट में पहुंचे बछड़े को शव के पास आकर रंभाता देख लोगों ने पहले इसे हल्के में लिया। फिर डंडे से मारकर भगाने की कोशिश की। लेकिन उनकी आंखे तब फटी की फटी रह गई जब बछड़ा बार-बार शव के आस आने लगा। वृद्धों के कहने पर जब उसे शव के पास जाने दिया गया तो वह ढके मुंह को हटाकर चुमा और फिर पैर को चूमकर रंभाने लगा। यह दृश्य देखकर हर एक की आंखे नम हो गईं और उसे लोगों ने नि:संतान मृतक मेवालाल का पुत्र की संज्ञा देकर दाह संस्कार में शामिल भी कराया। यह पूरी घटना लोागों ने अपने कैमरे में कैद किया।

 

लोगों में चर्चा... बछड़े को मौत की जानकारी कैसे हुई
लोग इसे चमत्कार बता रहे थे, बताया कि यह कैसे संभव है कि जिसे तीन माह पूर्व दूसरे गांव में बेच दिया गया हो। उसे अपने मालिक की मौत हो जाने की जानकारी मिल जाए और वह उसे देखने श्मशान घाट आ जाए, यह अपने आप में अकल्पनीय है। परंतु यह घटना दर्जनों लोगों के सामने हुई और लोग इसे ईश्वर की कृपा और पुत्र के रूप में बछड़ा का आगमन बता रहे थे।

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