चाईबासा में लाल पानी ने छिनी लोगों जिंदगी: तीन दिन 6 छह की मौत, आज एक साथ तीन ने तोड़ा दम, एक की हालत गंभीर

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में बीमारी का ताड़व चार दिन में 9 लोगों ने जान गवां दी है, एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। उचित इलाज न मिलने पर जा सकती है और भी जानें। एक मेडिकल शॉप के सहारे है गांववालों की जिंदगी।

प. सिंहभूम. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले  चाईबासा के मनोहरपुर में अज्ञात बीमारी से तीन दिनों के अंदर एक ही गांव में छह लोगों की मौत हो गई। 13 जुलाई बुधवार को गांव में एक साथ तीन लोगों की मौत हो गई। एक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। ग्रामीणों को मौत के कारणों की कोई जानकारी नहीं है। मृतकों को बुखार और दस्त की शिकायत थी। दो-तीन दिन के अंदर ही उनकी जान चली गई। गांव के ज्यादातर लोग पेट की बीमारी से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य केंद्र में लोगों को उचित इलाज और दवाईयां नहीं मिल पा रही है। गांव में जल्द ही स्वास्थ्य सुविधा नहीं बढ़ाई गई तो आने वाले दिनों और भी जाने जा सकती है। मृतकों में मुगली देवगम (50), सोमा आइंद (46), कोतो देवगम का 5 साल का बेटा, पिंकी सुरीन (13), मिंदी देवगम (45), रूर्ददास (07) शामिल है। सभी को पेट से संबंधित बीमारी थी। इन सभी की जान 6 दिन के अंदर ही चली गई। वहीं छोटानागरा पंचायत के जोजोगुटू गांव निवासी मनोहर देवगम नामक व्यक्ति की भी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे एक प्राइवेट दवा दुकान में इलाज के लिए ले गये हैं। वहां जरूरी दवा देकर स्लाइन चढ़ाया जा रहा है। 


यह है मामला
बता दें, पश्चिम सिंहभूम के मनोहरपुर प्रखंड स्थित छोटानागरा पंचायत के तहत जोजोगुटू- रोडु़वा गांव में लोग बुखार और दस्त से पीड़ित है। पिछले तीन दिनों से लगातार गांव में एक के बाद एक मौत की सूचना सामने आ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जब से लाल पानी की आपूर्ति हो रही है, तभी से लोग बीमार पड़ रहे हैं। हालांकि ग्रामीणों की मौत किस बीमारी से हो रही है, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। 

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जल मिनार से साफ पानी नहीं मिलता : ग्रामीण 
ग्रामीणों ने बताया कि जल मीनार से साफ पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। लाल पानी घरों के नल से निकल रहा है। वह नदी का लाल पानी है। नदी से पानी को खीचकर सीधे घरों को सप्लाई किया जा रहा है। पानी की सफाई नहीं हो रही है। जब से जलापूर्ति शुरू हुई है, उसके कुछ ही दिनों के बाद से गंदे पानी की आपूर्ति शुरू हो गई। पेयजल विभाग के जिम्मेवारों को कई बार इसकी जानकारी दी गई, मगर वे खामोश रहने में ही अपना फायदा देखते हैं। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि गंदा पानी से लोग बीमार पड़ रहे है। 

 

एक मेडिकल दुकान के सहारे दर्जनों गांव
छोटानागरा चौक स्थित एक मेडिकल दुकान के सहारे दर्जनों गांव की जिंदगी चल रही है। वहां दवा के लिये प्रतिदिन लोगों की भीड़ लग रही है, लेकिन छोटानागरा अस्पताल ग्रामीणों के लिये सफेद हाथी साबित हो रहा है। छोटानागरा अस्पताल में एक भी एम्बुलेंस नहीं है। जिससे बीमार मरीजों को इलाज कराने मनोहरपुर, किरीबुरु, गुवा अथवा चाईबासा स्थित सेल या सरकारी अस्पताल ले जाया जा सके। 

 ग्रामीणों का आक्रोश- कब तक अपनों का शव ढोते रहेंगे
ग्रामीणों ने कहा- क्या हम ग्रामीण सिर्फ अपने कंधे पर अपनों का शव ही ढोते रहेंगे या सरकार चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध करायेगी। सारंडा में जब खदानें खोलवा रही है तो उससे होने वाले प्रदूषण की रोकथाम की व्यवस्था और बीमार मरीजों का बेहतर इलाज, शुद्ध पेयजल की सुविधा भी सारंडा क्षेत्र में उपलब्ध कराएं, अन्यथा आदिवासी व वनवासी एक-एक कर ऐसी ही बीमारी से मर जायेंगे, जिसके लिये खदान प्रबंधनें व सरकार जिदार होगी।

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