झारखंड के चाईबासा में गंभीर बीमारी से बचने के लिए की जाती है अनोखी पूजा

झारखंड के चाईबासा में पिछले कुछ दिनों से अज्ञात बीमारी फैली हुई है, जिसमें 7 लोगों की जान जा चुकी है, साथ ही दर्जनों गंभीर रूप से बीमार है। गुरुवार 14 जुलाई को मेडिकल टीम ने स्पेशल किट से मलेरिया की जांच की और लोगों से बीमारी के सिंपटम्स पूछे।

चाईबासा. झारखंड के चाईबासा में  बीते दिनों सारंडा के जोजागुटू गांव के लोगा किसी अनजान बीमारी से परेशान है। गांव वालों ने अपने अपने साथ रहने वाले सात लोगों को खो दिया। ग्रामीणों की मदद से लिए सरकार ने स्वास्थ्स विभाग की टीम भी मौके पर भेजी। टीम ने शिविर लगाकर एवं घर-घर जाकर अज्ञात बीमारी के बारे में जानकारी ली। मगर अब ग्रामीणों को प्रशासन और स्वास्थ्य टीम पर भरोसा नहीं रहा। इसे अंाधविश्वास कहें या आस्था ग्रामीणों ने इस अज्ञात बीमारी से निजात पाने के लिए, गांव के लोगों को इस संकट से निबारने के लिए ग्रामीणों ने एक अनोखी पूजा की। 

बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए की जाती है, हरबोंगा पूजा
ग्रामीणों की मान्यता है कि जुगनी हरबोंगा पूजा से बुरी आत्माएं गांव छोड़कर भाग जाएगी। इस पूजा को करने गांव पर आई विपत्ती भी टल जाएगी। पूजा का नेतृत्व कर रहे दिऊरी और ठाकुर ने कहा कि ये एक पारम्परिक जुगनी हरबोंगा पूजा है। इसमें मिट्टी की मूर्तियां बनाई गई, जिसमें एक महिला को गोद में बच्चे लेकर किसी वाहन पर बैठी हुई दिखाई गई है इसके बगल में महिला का पति व बकरी की मूर्ति बनाई गई है। पूजा का नेतृत्व कर रहे दिऊरी ने बताया की पूजा का उद्देश्य गांव के सीमाना में आने वाले तमाम प्रकार के दूषित और दुष्टात्मा यहां से दूर भगाकर ग्रामीणों को तमाम प्रकार की विपत्ति से मुक्ति दिलाना है। इस पूजा में मुर्गे की बली दी गई इसके अलावे एक बकरी के बच्चे की भी पूजा की गई। जिसके बाद उसके गले में लाल कपड़े का धागा बांधकर उसे गांव की सीमाना पर छोड़ा गया।  पूजा के बाद एक विशेष प्रकार की जड़ी-बूटी को गांव की सीमाना के चारों तरफ और तमाम ग्रामीणों के घरों के दरवाजा के सामने जमीन के अंदर गाड़ा गया। ऐसा करने से माना जाता है कि लोगों के घरों में दूषित आत्मा का प्रवेश नहीं हो। 

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सारंडा में कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण ही फैला अंधविश्वास
गांव के कुछ बुद्धिजिवियों का मानना है कि गांव के लोगों में इस तरह के भावनाओं का आने का मुख्य कारण सारंडा क्षेत्र में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं होना है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि जोजोगुटू समेत कई गांवों में इस अंधविश्वास पूजा के बाद गांव में फैले अज्ञात बीमारी से कितने लोग सुरक्षित हो पाएंगे। इस क्षेत्र के छोटानागरा, जामकुंडिया, दोदारी आदि गांवों में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और उप स्वास्थ्य केन्द्र सिर्फ एमपीडब्लू और एएनएम के भरोसे खोल दिया गया है। यहां पर बीमार होने पर ना तो डॉक्टर की सुविधा मिलती है और ना ही अन्य स्वस्थ्य कर्मियों की, नाम मात्र के लिए इन गांवों में स्वास्थ्य बने है। 

गांव से 30-35 किमी दूर है अस्पताल
चिकित्सा की बदत्तर स्थिति और सारंडा के गांवों से अस्पतालों की दूरी करीब 30-35 किलोमीटर दूर है। इतना ही नहीं इन इलाकों में अस्पताल जाने के लिए यातायात या किसी भी एम्बुलेंस की कोई सुविधा नहीं है। जिस कारण लोग बीमार होने पर अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाते है और अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पा रहे है। जोजोगुटू एक शिक्षित गांव है और छोटानागरा पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम भी इसी गांव की है। लेकिन वह चाहकर भी इस पौराणिक परंपरा और अंधविश्वास को खत्म नहीं करा पा रही हैं।

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