देवघर में चल रहे विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले का समापन,लाखों भक्तों ने बाबा को चढ़ाया जल, शुरू हुई स्पर्श पूजा

झारखंड के देवघर में चल रहे विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेलें का समापन हो गया। 35 लाख भक्तों ने किया बाबा पर जलापर्ण किया और शुरू हुई स्पर्श पूजा। इसके बाद लोग बाबा के दर्शन कर पाएंगे। साथ ही बासुकीनाथ में भी 29 लाख भक्तों ने चढ़ाया जल।

Sanjay Chaturvedi | Published : Aug 13, 2022 3:24 PM IST

देवघर(झारखंड). झारखंड में सावन में महीने में एक माह से जारी विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का समापन हो गया है। मेले के समापन के साथ ही बाबा मंदिर में स्पर्श पूजा की शुरूआत हो चुकी है। भक्त अब बाबा भोले का दर्शन और उनको स्पर्श कर पाएंगे। स्पर्श पूजा शुरू होने से श्रद्धालुओं में उत्साह है। इससे पहले श्रावणी मेला में भीड़ को देखते हुए अर्घा से जलाभिषेक की व्यवस्था की गई थी। मेला के 30वें दिन पुरोहितों की ओर से बाबा वैद्यनाथ की कांचा जल पूजा के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए स्पर्श पूजा शुरू कर दिया गया। 

स्पर्श पूजा का महत्व
बता दें कि देवघर स्थित बाबा मंदिर में स्पर्श पूजा का बहुत महत्व है। लेकिन श्रावण मास में अत्यधिक भीड़ होने से स्पर्श पूजा के दौरान हर किसी का जल बाबा पर नहीं चढ़ पाता था। ऐसे में अर्घा के माध्यम से जालर्पण की योजना बनायी गयी थी जिससे श्रद्धालु बिना स्पर्श के ही श्रावणी मास मे बाबा का जलार्पण किए। श्रावणी पूजा के सफल संचालन होने से बाबा मंदिर में पहले सरदार पंडा द्वारा विधि-विधान से पूजा की गई फिर प्रशासनिक अधिकारियों ने पूजा की। पूजा में दुमका प्रक्षेत्र के डीआईजी, जिला के डीसी, एसपी भी शामिल हुए. संताल परगना प्रक्षेत्र के डीआईजी, देवघर के डीसी-एसपी ने बाबा का आशीर्वाद से सफल संचालन होने की बात की। वहीं आगामी भादो माह में भी श्रावण की तरह प्रशासनिक सुविधा और सुरक्षा व्यवस्था के बीच जलाभिषेक कराने की बात की जा रही है।

लाइन लगाकर कांवरियों ने किए जलार्पण 
स्पर्श पूजा शुरू होने के बाद सभी कांवरिया कतारबद्ध होकर बाबा का जयघोष करते हुए भगवान भोले का दर्शन किया। अर्घा सिस्टम हटाने के बाद सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से पूरी व्यवस्था की निगरानी की जा रही है। डीसी मंजूनाथ भजंत्री और पुलिस अधीक्षक सुभाष चन्द्र जाट स्थिति पर नजर रखे दिखे। मंदिर प्रांगण में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। 

एक महीने में 35 लाख भक्तों ने किया जलाभिषेक
बता दें कि एक माह तक चले श्रावणी मेले में करीब 35 लाख भक्तों ने बाबा का जलाभिषेक किया। स्पर्श पूजा शुरू होने के साथ ही सावन मेला समाप्त हो गया है। पूरे एक महीने के दौरान प्रशासन की व्यवस्था की बात करें तो श्रद्धालुओं के अनुसार अन्य साल की तुलना मे इस साल वयवस्था बेहतर थी। वही उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने पूजा के सफल संचालन के लिए तहे दिल से देवघर की जनता और मंदिर के तीर्थ पुरोहितों को धन्यवाद कहा। 

ऐसा रहा इस बार का मेला
इस बार का श्रावणी मेला कई मायनों में खास रहा। प्रशासन की व्यवस्था पिछले साल के मुकाबले इस बार बेहतर रही। कई जगहों पर टेंट लगा कर कावरियों की सेवा की गई। देवघर में बने टेंट सिटी में 600 कांवरियों के एक साथ रूकने की व्यवस्था की गई थी। पचास हजार वर्ग फीट में फैली इस टेंट सिटी में बिजली की व्यवस्था, पंखा, मोबाइल चार्जिंग की व्यवस्था, आइना, 50 शौचालय, स्नानगृह, पेयजल, सुरक्षा और कचरा निस्तारण आदि की व्यवस्था की गयी थी। इसके अलावा टेंट सिटी में वीआईपी रूम की भी व्यवस्था थी। सुरक्षा को लेकर टेंट में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। 

बासुकीनाथ में भी मेले का समापन, वहां 29 लाख श्रद्धालुओं ने जल चढ़ाया
देवघर के साथ ही दुुमका जिले में भी श्रावणी मेला लगा था। मान्यता के अनुसार देवघर में जल चढ़ाने के बाद भक्त बासुकीनाथ में जल जरूर चढ़ाते हैं। सावन खत्म होते ही बासुकीनाथ में भी मेले का समापन हो गया है। इस बार बासुकीनाथ में 29 लाख लोगों ने बाबा पर जल चढ़ाए। कांवरियों की सुविधा को देखते हुए दुम्मा बॉर्डर से खिजुरिया तक कांवरिया पथ पर जगह-जगह इंद्र वर्षा के लिए सिस्टम लगाए गए थे। कांवरिया पथ पर कांवरियों को गर्मी से राहत देने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा एक तय दूरी पर इसकी व्यवस्था की गई थी।

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