झारखंड में इस गांव में अचानक धंस गई 150 फीट जमीन, ग्रामीणों में डर का माहौल

Published : Aug 17, 2022, 05:13 PM ISTUpdated : Aug 17, 2022, 05:50 PM IST
झारखंड में इस गांव में अचानक धंस गई 150 फीट जमीन, ग्रामीणों में डर का माहौल

सार

झारखंड के धनबाद जिलें में भू स्खलन की खबरें आई है। इस हादसे के कारण 150  फीट जमीन धंस गई। जिसके कारण वहां की मुख्य सड़क टूटने लोगों का स्टेशन तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। जिलें में अधिकतर ऐसी घटनाएं अवैध खनन के कारण होती है।

धनबाद (झारखंड). झारखंड राज्य का धनबाद जिले में जमीन धंसने की खबर सामने आई है। जिलें के निरसा में अचानक जोर दार आवाज के साथ 150 फीट जमीन धंस गई। हादसे के प्रभाव के कारण भू-धसान वाली जगह के आस पास दरारें आ गई। इस घटना के बाद आसपास के गांव मे रहने वाले लोगों में डर का माहौल है। हालांकि प्रदेश में अवैध खनन के कारण कई बार जिले के विभिन्न जगहों से जमीन धंसने, गोफ बनने और गैस रिसाव की खबरें आते ही रहती है। पर उनमें इतना भू स्खलन नहीं होता था, जितना इस बार हुआ है।

एमपीएल रेल लाइन के पास हुआ हादसा
यह मामला निरसा विधानसभा के नयाडंगा थापर नगर की मुख्य सड़क पर हुआ है। श्यामपुर के बंद पड़े कार्यालय और थापर नगर रेलवे स्टेशन जाने वाली एमपीएल रेललाइन की पोल संख्या 12 और 13 से लगभग 20 फीट की दूरी पर जोरदार आवाज आई। धमाके की आवाज सुन वहां लोग पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां कि लगभग 150 फीट की जमीन धंस गई है। इस घटना के अलावा झरिया में राजग्राउंड स्थित फल मंडी के पास सावर्जनिक शौचालय के पास जमीन से जहरीली गैस का रिसाव देखा गया।
 
पहले भी यहां धंस चुकी है जमीन
नयाडंगा थापर नगर के ग्रामीणों का कहना है कि इसी रास्ते से लोग प्रतिदिन स्टेशन की ओर जाते हैं। इस भू स्खलन के बाद अब स्टेशन पहुंचना भी काफी कठिन हो जाएगा। गांववालों का कहना है कि इस हादसे से  पहले भी यहां भू-धसान हुई थी। तब ईसीएल और एमपीएल के अधिकारियों ने फ्लाई ऐश की भराई कराकर खानापूर्ति कर दी। इस बार ये बड़ा हादसा हुआ, जिसे देखकर लोगों के मन में डर भर गया है। लोगों ने बताया कि जिन जगहों पर जमीनें धंस रही हैं, उसके आसपास के क्षेत्रों में पिछले साल अवैध माइनिंग हुई थी। 

झरिया में हमेशा होता है भू धसान, कई लोगों की हो चुकी है मौत
झरिया कोलियरी क्षेत्र के 17 हजार वर्ग किलोमीटर में वर्षों से आग लगी हुई है। लगभग आठ लाख परिवार इससे प्रभावित हैं, लेकिन अभी तक इनलोगों को पुनर्वासित करने का काम सरकार द्वारा नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही वहां भूमि धंसने के कारण जब भी कोई मौत होती है, तो प्रशासन एवं बीसीसीएल के अधिकारी एक-दूसरे के माथे पर उसका ठीकरा फोड़ने का खेल शुरू कर देते हैं। वहीं राज्य सरकार एवं भारत सरकार पंच की भूमिका में आ जाती है। बीसीसीएल एवं राज्य सरकार की लड़ाई में यहां के लोग जिंदा दफन होने को मजबूर हैं।

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