जिंदगी बचाने का देसी जुगाड़: घायल युवक को गोबर में गाड़ दिया, 2 घंटे बाद आ गया होश

झारखंड के पूर्वीं सिंहभूम जिला के गुड़ाबांदा प्रखंड में एक अनोखा मामला आया है। यहां व्रजपात से घायल युवक की जान बचाने के लिए उसे दो घंटे तक गोबर में गाड़ दिया गया 2 घंटे बाद उसे होश आया। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मनाते हैं।  

पूर्वी सिंहभूम. वज्रपात से घायल लोगों को बचाने का ग्रामीणों का देसी जुगाड़ देख आप दंग रह जाएंगे। झारखंड में वज्रपात में घायल लोगों को बचाने के लिए ग्रामीण घायल को गोबर में गाड़ देते हैं। कई तो इसे अंधविश्वास मानते हैं। इस जुगाड़ से कई की जान चली जाती है तो कई बच जाते हैं। ऐसा ही एक मामला पूर्वीं सिंहभूम जिला के गुड़ाबांदा प्रखंड में देखने को मिला है। जहां ग्रामीणों ने देसी जुगाड़ का उपयोग कर वज्रपात में घायल एक युवक की जान बचा ली। करीब दो घंटे तक उसे गोबर में गाड़ कर रखने के बाद युवक को होश आ गया। जिसके बाद परिजन युवक को लेकर अस्पताल गए, जहां उसका इलाज चल रहा है। युवक की हालत अब खतरे से बाहर है। युवक 6 सितंबर की शाम वज्रपात में घायल हो गया था। 

बैल चराने के दौरान वज्रपात की चपेट में आया था युवक 
गुड़बांदा प्रखंड के हड़ियान गांव का 15 साल का युवक राम मुर्मू 6 सितंबर की शाम मवेशी चराने जंगल गया था। मवेशी को चराने के दौरान अचानक बारिश शुरु हो गई। वज्रपात भी शुरु हुआ। जिसमें युवक वज्रपात की चपेट में आ गया। वह बेहोश हो गया। जबकि वज्रपात से चार मवेशियों की भी मौत हो गई। ग्रामीणों को सूचना मिली तो ग्रामीण भाग कर जंगल गए। बेहोशी की हालत में पड़े युवक को उठाकर गांव ले आए। फिर गांव में गर्दन तक घायल युवक को गोबर से ढक दिया। करीब दो घंटे तक गोबर में गाड़ने के बाद युवक को होश आया तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। फिर उसे अस्पताल ले जाया गया। युवक पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाजरत है।

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इसलिए वज्रपात में घायल युवक को गोबर में गाड़ते है ग्रामीण
लोगों का मानना है कि वज्रपात में घायल को गोबर में गाड़ करने रखने से घायल ठीक हो जाता है। जबकि जानकार मानते हैं कि ऐसा करने से घायल की जान भी जा सकती है। झारखंड में पूर्व में भी ऐसे मामले देखने को मिले हैं। करीब सात साल पहले झारखंड के हजारीबाग में ऐसा ही मामला देखने को मिला था। यहां वज्रपात में चार बच्चे घायल हो गए थे। एक बच्चे की मौत हो गई थी जबकि तीन अन्य बच्चों को ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ दिया था। लेकिन ऐसे मरीज को तत्काल इलाज की जरुरत होती है।

किसी व्यक्ति पर बिजली गिरने से कई हजार वोल्ट का झटका लगता है। डीप बर्न होने से टिशूज डैमेज हो जाते है। इसे असानी से ठीक नहीं किया जा सकता। वज्रपात से अपंगता और हार्ट अटैक का खतरा रहता है। झारखंड के अलावे बिहार, छत्तीशगड़ समेत देश के कई राज्यों में वज्रपात से घायल लोगों का ग्रामीण इसी तरह से इलाज करते हैं।

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