एक ऐसा सरकारी स्कूल जो सफाई में प्राइवेट स्कूलों को दे रहा मात, टीचर अपने खर्च से कर रहे मेंटेन

Published : Sep 23, 2022, 12:53 PM ISTUpdated : Sep 23, 2022, 01:37 PM IST
एक ऐसा सरकारी स्कूल जो सफाई में प्राइवेट स्कूलों को दे रहा मात, टीचर अपने खर्च से कर रहे मेंटेन

सार

झारखंड पूर्वी सिंहभूम में एक ऐसा सरकारी स्कूल जो स्वच्छता के मामले में अच्छे अच्छे प्रायवेट स्कूलों को पीछे छोड़ दे रहा है। और यह सब किसी सरकारी मदद के नहीं बल्कि खुद के रुपयों से यह सब मैनेज कर रहे है। स्कूल को शिक्षा मंत्री मॉडल बता चुके है।

पूर्वीं सिंहंभूम (झारखंड): झारखंड के एक सरकारी स्कूल की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो भी इसे मॉडल बता चुके हैं। यह एक ऐसा सरकारी स्कूल है जो स्वच्छता में प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। स्टूडेंट्स और टीचर्स के बदौलत स्कूल में बेहतर आधारभूत संचरना, गार्डनिंग व स्वच्छता उच्च स्तर पर देखने को मिलेगा। इस स्कूल को इस कदर मेंटेन किया गया है कि पूरा स्कूल परिसर बेहद खूबसूरत नजर आजा है। यह सरकारी स्कूल झारखंड के पूर्वीं सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड में स्थित है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय चांदोवा को शिक्षा मंत्री मॉडल बता चुके हैं। 

स्कूल में की गई है गार्डनिंग
इस स्कूल में कचरा प्रबंधन से लेकर गार्डनिंग हर कुछ बेहतर है। जगह-जगह डस्टबीन लगे हुए हैं। कैंपस में एक भी कचरा नहीं दिखेगा। गार्डन में कई प्रकार के पौधे व फूल की अलग-अलग प्रजातियां लगाई गई है। इस स्कूल में कक्षा 1 से 8वीं तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय में स्टूडेंट्स की संख्या 160 से ज्यादा है। कुल 6 शिक्षक हैं। पढ़ाई के लिए भी अलग व्यवस्था है। क्लास में जाने से पहले शिक्षकों को अपना वर्क प्लान बनाकर विद्यालय के प्रिंसिपल को दिखाना होता है। यह स्कूल पांच एकड़ में फैला है।  

पांच साल पहले अन्य सरकारी स्कूल की तरह था
यह विद्यालय आज से पांच साल पहले दूसरे सरकारी विद्यालयों की तरह ही जर्जर हालत में था। विद्यालय में परिवर्तन स्कूल के प्रिंसिपल व शिक्षकों ने अपने स्तर पर किया है। इसमें स्कूल के बच्चों का भी सहयोग लिया गया है। प्रिंसिपल धीरेंद्र नाथ बास्के ने बताया कि पांच साल पहले उनकी इस स्कूल में पदस्थापन हुई थी। तब यह स्कूल दूसरे स्कूलों की तरह था। जिसके बाद उन्होंने उसे मॉडल स्कूल बनाने की ठानी। अपने पैसों से पौधे खरीद कर लाए और स्कूल परिसर में पौधा रोपण किया। इसके बाद गार्डनिंग बनाया गया। गार्डनिंग एरिया को विकसित करने के लए एक्सट्रा एक्टिविटि के तहत स्कूल के बच्चों को टास्क दिया जाता है।

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