1991 में लोग उन्हें डायन कहकर टॉर्चर करते थे, आज 62 साल की यही महिला उनको भूखों नहीं मरने दे रही

शादी के 12 साल बाद इस महिला को गांववालों ने डायन कहकर बहुत परेशान किया था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आज वो ऐसी ही कई महिलाओं का संबल बनी हुई है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 11, 2020 12:23 PM IST

जमशेदपुर, झारखंड. यह कहानी एक ऐसी महिला की है, जिसे वर्षों पहले गांववालों ने बहुत टॉर्चर किया। उसे डायन कहकर अपमानित किया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। इस महिला ने अपने जैसी ही कई महिलाओं को इस प्रताड़ना से बचाया। वहीं, अब लॉक डाउन के चलते दो वक्त की रोटी को तरसते बेसहारा, दिव्यांग और गरीबों का पेट भर रही है। इस महिला को गांववालों ने डायन का इल्जाम लगाकर गांव से तक निकाल दिया था। यह हैं 62 साल की छुटनी महतो। ये पिछले कई दिनों से अपने घर पर 50-60 लोगों को भोजन करा रही हैं। छुटनी डायन कुप्रथा के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ती आ रही हैं। वे इस मुहिम की ब्रांड एम्बेसडर हैं। छुटनी बीरबांस में रहती हैं।


पूरा परिवार कर रहा सहयोग
छुटनी ने बताया कि लॉक डाउन के कारण बहुत सारे लोगों को रोटी के लिए तरसना पड़ रहा है। यह देखकर उन्होंने अपने घर के बाहर लोगों को बैठाकर खाना खिलाना शुरू कर दिया। यह सिलसिला 30 मार्च से चल रहा है। उनके इस प्रयास में बेटे और बहू सब सहयोग कर रहे हैं। छुटनी ने बताया कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखती हैं। 

बता दें कि शादी के 12 वर्ष बाद ही 3 बेटों और एक बेटी के बाद वर्ष, 1991 में ससुराल पक्ष की ओर से उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित किया गया था। इसके बाद वे अपने बच्चों को लेकर बीरबांस आ गई थीं। छुटनी जमशेदपुर की फ्लैक संस्था के साथ मिलकर अपने जैसीं 56 महिलाओं को फिर से सम्मान दिला चुकी हैं।

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