भाई के मर्डर केस में सजा काट रहा ये दंबग MLA लड़ेगा विधायक का चुनाव, अपनी भाभी से की है शादी

 बता दें कि संजीव सिंह ने अपने बड़े भाई राजीव रंजन सिंह की हत्या के बाद अपनी भाभी रागिनी से 2013 में कोर्ट मौरिज की थी। जानकारी के मुताबिक इस शादी में  फैमिली और कुछ खास लोग ही शामिल हुए थे। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 8:41 AM IST / Updated: Nov 14 2019, 03:14 PM IST


धनबाद (झारखंड). अपने भाई और शहर के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह के हत्या के आरोप में दो साल से जेल में सजा काट रहे निवर्तमान विधायक संजीव सिंह को चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई है। उनके वकील ने कोर्ट से चुनाव लड़ने के लिए याचिका दायर कर रखी थी।

कड़ी सुरक्षा में नामांकन भरने का मिला आदेश
बता दें कि अदालत ने संजीव को  25 नवंबर तक अपना नामांकन दाखिल की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही जिला एवं सत्र न्यायधीश अलोक कुमार दुबे ने उनको नामांकन  के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने और समर्थकों पर काबू रखने का भी आदेश दिया है। अदालत ने धनबाद जेल प्रबंधन को उन्हें कड़ी सुरक्षा में नामांकन करने का निर्देश दिया है।

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संजीव सिंह की पत्नी को BJP ने बनया उम्मीदवार
बीजेपी के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार के दिन झारखंड की पहली 52 उम्‍मीदवारों के नामों की लिस्ट जारी की थी। जिसमें संजीव सिंह का टिकट काटकर उनकी जगह पर उनकी ही पत्नी रागिनी को झरिया से उम्मीदवार बनाया है।

भाई की मौत के बाद भाभी को बना लिया पत्नी
 बता दें कि संजीव सिंह ने अपने बड़े भाई राजीव रंजन सिंह की हत्या के बाद अपनी भाभी रागिनी से 2013 में कोर्ट मौरिज की थी। जानकारी के मुताबिक इस शादी में  फैमिली और कुछ खास लोग ही शामिल हुए थे। 

मां से लेकर पिता भी रह चुके हैं विधायक
संजीव सिंह धनबाद जिले के झरिया से बीजेपी के विधायक हैं। उन्होंने दिसंबर 2014 में भाजपा की टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी। उनके पिता सूर्य देव सिंह धनबाद में कोल किंग के नाम से मशहूर थे। वहीं, मां कुंती सिंह भी झरिया की विधायक रह चुकी हैं।

पत्नी ने इसी सीट से लड़ेगी चुनाव
जानकारी के अनुसार, संजीव सिंह का चुनाव लड़ना एक तरह की उनकी एक रणनीती बताई जा रही है। क्योंकि वह जिस सीट से चुनाव का पर्चा भरेंगे वहां से उनकी पत्नी रागिनी भी उम्मीदवार हैं। उनका मानना है कि अगर तकनीकी समस्या के कारण अगर उनकी पत्नी का नामांकन रद्द हो गया तो बैकअप वह खुद निर्दलीय नामांकन पर्चा दाखिल करेंगे। जिसको वह बाद में वापस भी ले सकते हैं।

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