झारखंड के शिक्षा मंत्री का अल्टीमेटम 10 दिनों के अंदर हो काम, 11 दिन फिर करूंगा स्कूल का दौरा

तड़ित चालक (Lightening rod or lightening conductor) धातु की एक छड़ होती है यानी सुचालक क्षण। बोकारो के एक स्कूल में वज्रपात से स्कूली बच्चों के घायल होने के बाद झारखंड के शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में तड़ित चालक लगाएं।

रांची. झारखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां अक्सर वज्रपात की घटनाएं घटित होती रहती हैं। बोकारो के एक स्कूल में वज्रपात से स्कूली बच्चों के घायल होने के बाद झारखंड के शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में तड़ित चालक लगाए जाएंगे, ताकि आने वाले समय में कोई अप्रिय घटना न घटे। स्कूल में तड़ित चालक लगाने संबंधित आदेश फौरन जारी किए जाएंगे। इससे पहले शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बांधडीह मध्य विद्यालय में वज्रपात से पीड़ित बच्चों का हालचाल लेने के लिए बोकारो जनरल अस्पताल पहुंचे। बच्चों की स्थिति का जायजा लिया। जिस स्कूल पर बिजली गिरी वहां 10 दिन के अंदर तड़ित चालक लगेगा। 11वें दिन स्कूल का फिर से मुआयना किया जायेगा। 

60 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में नहीं है तड़ित चालक 
वज्रपात के लिए डेंजर जोन बोकारो के स्कूलों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। यहां के आधे से अधिक स्कूलों में वज्रपात से बचाव के लिए उपकरण ही नहीं लगे हैं। इससे बारिश में स्कूलों में वज्रपात का खतरा बना हुआ है। बोकारों में बारिश के दिनों में कम दबाव के कारण वज्रपात की घटनाएं होती रहती हैं। वज्रपात की घटनाओं से स्कूलों को बचाने के लिए वर्ष 2010-11 में 640 सरकारी स्कूलों के नए भवनों में तड़ित चालक लगाए गए थे। लेकिन उसके बाद तड़ित चालक लगाने की राशि सरकार की ओर से अन्य स्कूलों में लगाने को लेकर नहीं भेजी गई। जिससे यह काम रूक गया। स्कूल के शिक्षकों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में करीब 1560 सरकारी स्कूल हैं, इनमें से 920 सरकारी स्कूलों यानी 58.97 फीसदी स्कूलों में तड़ित चालक नहीं हैं। 

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कोडरमा के स्कूलों में नहीं है आसमानी बिजली से बचने की व्यवस्था
बोकारो की तरह कोडरमा के स्कूलों में भी तड़ित चालक नहीं है। यहां के किसी भी विद्यालय में वज्रपात से कोई बड़ी दुर्घटना कभी भी घट सकती है। शिक्षा विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग की सुस्ती और विद्यालय प्रबंधन समितियों की अज्ञानता की वजह से स्कूलों में तड़ित चालक यंत्र की व्यवस्था नहीं की गई है। प्रखंड के 115 सरकारी एवं 29 निजी विद्यालयों में वज्रपात से बचने-बचाने के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था ही नहीं है। लगभग 10-15 वर्ष पहले कुछ विद्यालयों में नया भवन बनवाते समय विभागीय दिशा निर्देशानुसार तड़ित चालक लगे थे। इनमें से अधिकतर चोरी हो गए या गिर गए।

पश्चिमी सिंहभूमि के स्कूली बच्चे भी खतरे में  
इस जिले में भी किसी भी विद्यालय में तड़ित चालक लगा हुआ नहीं है, जहां लगा हुआ है, वह सिर्फ दिख रहा है, लेकिन है बेकार। वर्ष 2008-09 के शैक्षणिक सत्र में जिला में उत्क्रमित किए गए 350 से अधिक विद्यालयों में तड़ित चालकों को लगाया गया था, जो समय के साथ खराब हो गया। एक तड़ित चालक को लगाने में लगभग 50 हजार का खर्च आता है। 

क्या है तड़ित चालक 
तड़ित चालक (Lightening rod or lightening conductor) धातु की एक छड़ होती है यानी सुचालक क्षण। इसे ऊंचे भवनों की छत पर आकाशीय बिजली से बचाव के लिए लगाया जाता है। तड़ित चालक का ऊपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है और तांबे के तार से जोड़कर नीचे लाकर धरती में गाड़ दिया जाता है और आखिरी सिरे पर कोयला और नमक मिलाकर रख दिया जाता है। जब बिजली इससे टकराती है तो तार के सहारे यह जमीन के अंदर चली जाती है।

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