झारखंड में मची राजनीतिक हलचल के बीच सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। जहां राज्य की हेमंत सोरोन सरकार विश्वास मत हासिल करेगी। रायपुर से मेफेयर रिसॉर्ट से लौटे महागठबंधन के सभी विधायकों को सोमवार सुबह खुद सीएम हेमंत सोरोन बस में लेकर विधानसभा पहुंचे।
रांची. झारखंड में पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे राजनीतिक उठा-पटक के बीच आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। जिसमें सरकार विश्वास मत हासिल करेगी। राज्य में पहली बार कोई सत्ताधारी दल अपने सरकार के खिलाफ ही विश्वास मत पेश करेगी। सीएम के खनन लीज मामले में अब तक राज्यपाल का कोई आदेश नहीं आया है। जिस कारण झारखंड की राजनीति में पिछले 11 दिनों से उठा-पटक लगी है। इधर, 4 अगस्त की शाम रायपुर से मेफेयर रिसॉर्ट से लौटे महागठबंधन के सभी विधायक रांची के सर्किट हाउस पहुंचे। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने सभी विधायकों को खुद बस में लेकर विधानसभा पहुंचे। 11 बजे से विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शुरु हो गई है। जानकारी के अनुसार विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव हासिल करने के अलावा सरकार स्थानीयता पर भी कानून ला सकती है।
विशेष विमान से लौटे थे सभी विधायक
जानकारी हो कि खरीद फरोख्त के डर से सीएम हेमंत सोरेन ने महागठबंधन के सभी विधायकों को रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में बाड़े में रखा था। सभी विधायक-मंत्री सोमवार को रायपुर से सीधे झारखंड विधानसभा पहुंचने वाले थे। लेकिन खराब मौसम के कारण रविवार की शाम ही सभी विधायकों को विशेष विमान से रांची लाया गया। यहां से सभी विधायक-मंत्रियों को सर्किट हाउस में ठहराया गया था। 30 अगस्त को महागठबंधन के 31 विधायकों को विशेष विमान से रायपुर ले जाया गया था। इसके पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने खूंटी जिले के पलकातू डैम में महागठबंधन के सभी विधायकों के साथ पिकनिक भी की थी।
एक साथ विधानसभा पहुंचेंगे
भाजपा के विधायक विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए भाजपा की कोई रणनीति तैयार नहीं हुई है। पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि भाजपा के सभी विधायक एक साथ विधानसभा पहुंचेंगे। विधानसभा में उतपन्न परिस्थितियों के अनुसार पार्टी फैसला लेगी। विधायक आक्रमक स्थिति में रहेंगे। विधानसभा जाने से पहले एक बार फिर प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक होगी। उन्होंने कहा कि न तो विपक्ष और ना ही राज्यपाल ने सरकार को विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया है। ऐसे में विश्वास मत के लिए एक दिन का विशेष सत्र बुलाने का कोई मतलब नहीं है।
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