झारखंड में राजनीतिक उठा-पटक के बीच 5 सितंबर को विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। इस सत्र में हेमंत सोरेन विश्वास मत हासिल कर सकते हैं। वहीं, राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक चुनाव आयोग को अपना लेटर नहीं भेजा है।
रांची. झारखंड में राजनीतिक उठा-पटक के बीच 5 सितंबर को विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। इसमें सरकार विश्वास मत हासिल कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में ठहरे महागठबंधन के सभी विधायकों को रायपुर से सीधे विधानसभा लाया जाएगा। विधायकों के साथ रिसॉर्ट में कांग्रेस कोटे के दो मंत्री बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख भी रायपुर में ही डेरा डाले हुए हैं। इधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी मिलने के 10 दिनों बाद भी राज्यपाल का कोई आदेश नहीं आया है।
दिल्ली दौरे पर हैं राज्यपाल
सत्ता पक्ष समेत विपक्ष की भी नजरें राजभवन के फैसले पर टिकी हैं। ताकि राज्यपाल का फैसला आते ही उसके अनुरुप रणनीति बनाई जा सके। राज्यपाल फिलहाल दिल्ली में हैं। शुक्रवार को वे दिल्ली गए थे। बताया गया था कि वे स्वास्थ्य जांच के लिए दिल्ली गए हैं। उनके रविवार तक दिल्ली से नहीं लौटने के कारण सरकार के विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले राज्यपाल का कोई फैसला आने की उम्मीद नहीं है।
विशेष विधानसभा सत्र में शामिल होंगे सभी विधायक
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कहना है कि रायपुर से सभी विधायक 5 सितंबर को रांची पहुंचेंगे। रांची पहुंचने के बाद सभी विधायक सीधे राजभवन जाएंगे। वहीं, मंत्री आलमगीर आलम का कहना है कि महागबंधन के सभी विधायक विशेष सत्र में शामिल होंगे। जानकारी हो कि खरीद-फरोख्त के डर से सीएम हेमंत सोरेन ने महागठबंधन के सभी विधायकों को एकजुट करने के लिए रायपुर से मेफेयर रिसॉर्ट में ठहरवाया है। इससे पहले वे महागठबंधन के सभी विधायकों को लेकर पिकनिक मनाने खूंटी जिले के लतरातू डैम गए थे। राज्यपाल का फैसला नहीं आने तक राज्य में राजनीतिक भूचाल मचा हुआ है।
क्या है सत्ता का गणित
झारखंड में सत्ता पक्ष के पास 50 विधायकों का समर्थन है। झामुमो के पास 30, कांग्रेस के पास 18, राजद के पास एक और माले के एक विधायकों का समर्थन सरकार को है। कांग्रेस के तीन निलंबित विधायक कैश के साथ पकड़े जाने के बाद बंगाल हाई कोर्ट ने तीनों के कोलकाता छोड़ने पर रोक लगा दी है। सत्ता पक्ष को बहुमत हासिल करने के लिए 42 विधायकों के समर्थन की जरुरत है। जबकि सत्ता पक्ष के पास 50 विधायकों का समर्थन है। वहीं, विपक्ष के पास 31 विधायक है। भाजपा के 26, आजसू के 3, एनसीपी के 1 और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है। भाजपा के एक विधायक इंद्रजीत महतो लंबे समय से बीमार है। वे हैदराबाद में इलाजरत हैं।
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