झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खतरे में हैं। ऐसे में अब राज्य के अगले सीएम के नाम पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना का नाम सबसे आगे चल रहा है। लेकिन कल्पना के सीएम बनने के लिए एक नहीं कई अड़चने हैं। जिनसे उनको निपटना होगा।
रांची. झारखंड में सियासी हलचल के बीच हर कोई यह जानना चाहता है कि अगर सीएम की सदस्यता रद्द होती है तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। वैसे मुख्यमंत्री के लिए सीएम की पत्नी कल्पन सोरेन के नाम की चर्चा जोरों पर है। हालांकि झामुमो के भीतर वैसे तो तीन नामों की खूब चर्चा हो रही है, लेकिन एक नाम मुख्यमंत्री के रेस में सबसे आगे है। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन। इनके अलावा जिन दो नामों की चर्चा हो रही है उनमें शिबू सोरेन और चंपई सोरेन का भी नाम शामिल है।
कल्पना के सीएम बनने की अड़चने...
कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए हेमंत सोरेन को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यदि वह मुख्यमंत्री बनती है तो विधानसभा सदस्यता के लिए किसी आदिवासी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ना होगा। लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि इसके लिए झारखंड का निवासी होना जरूरी है। जबकि कल्पना सोरेन ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें किसी अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ना होगा। अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ना उनके लिए खतरे की घंटी हो सकती है। वजह, अनारक्षित सीटों पर भाजपा की पकड़ मजबूत है।
सीएम बनने के लिए शिबू सोरेन को छोड़नी पड़ेगी राज्यसभा सदस्यता
इसी तरह अगर शिबू सोरेन मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते हैं तो उन्हें राज्यसभा सदस्ता छोड़नी होगी। पुन: उन्हें विधायक का चुनाव लड़ना पड़ेगा। इसी तरह अगर बात करें चंपई सोरेन की तो वह मौजूदा सरकार में मंत्री हैं। झामुमो के पुराने नेताओं में से एक हैं। शिबू सोरेन के काफी करीबी रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उन्हें काफी आदर-सम्मान देते हैं।
कल्पना बनीं सीएम तो लोगों को आएगी लालू की याद
झामुमो के कुछ नेताओं से बातचीत करने पर जो नाम सबसे ज्यादा उभरकर सामने आ रहा है उसमें कल्पना सोरेन का ही है। यदि हेमंत सोरेन कल्पना सोरेन पर दांव लगाते हैं तो झारखंड की राजनीति बिहार दोहराती नजर आएगी। जिस तरह से लालू प्रसाद यादव ने जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना दिया था। वैसे भी झामुमो और राजद की दोस्ती पुरानी है। न सिर्फ राजनीतिक विचार एक दूसरे से मेल खाते हैं, बल्कि लालू-सोरेन परिवार में एक दूसरे को बेहद सम्मानजन तरीके से देखते हैं। समय समय पर हेमंत सोरेन खुद लालू यादव की सेहत का खबर लेने अस्पताल पहुंचते रहे हैं। इन परिवारों की समानता यह भी है कि दूसरी पीढ़ी यानी पुत्रों के हाथ में सत्ता की बागडोर है। लालू यादव के दोनों पुत्र तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव जिस तरह बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं, उसी तरह शिबू सोरेन के दोनों पुत्र हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन भी राजनीति में सक्रिय हैं।