
खूंटी (झारखंड): झारखंड के खूंटी जिला में स्थित मां नकटी देवी का मंदिर अनोखा है। यहां बिराजमान अष्टभुजी मां की नाक कटी हुई है। इसलिए मां को नकटी देवी कहा जाता है। यह अनोखा मंदिर खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड अंतर्गत जरिया पंचायत के सोनपुरगढ़ में स्थित है। यह मंदिर इस क्षेत्र के श्रद्धालुओं के आस्था का प्रमुख केंद्र है। चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्र में सोनपुरगढ़ स्थित माता नकटी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के मौके माता नकटी देवी मंदिर में मांगी गई सारी मन्नतें पूरी होती हैं। नवरात्र के दौरान नकटी देवी मंदिर में कई अनुष्ठान होते हैं। मां नकटी देवी मैया की जो भी भक्त सच्चे मन से आराधना करते हैं, उनकी मनोकामना अवश्पूय पूर्ण होती है। इस नवरात्रा भी यहां पूजा के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
मंदिर की है, अनोखी कहानी
मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर मिश्रा के अनुसार मंदिर में विराजमान अष्टभुजी मां की नाक कटी हुई है। इस कारण से माता को नकटी देवी कहा जाता है। सोनपुरगढ़ पहले राजा का गढ़ हुआ करता था। यहां के राजा इस मंदिर के माता को अपना कुलदेवी मानते थे और सेवा कर पूजा करते थे। सब अच्छा चल रहा था। इसी बीच राजा के बेटे की हत्या इसी मंदिर के पास हो गई। तब राजा ने मंदिर में आकर अपने बेटे को जीवित करने के लिए मंदिर में काफी पूजा की। लेकिन उनका पुत्र जीवित नहीं हुआ। इससे क्रोधित होकर राजा अपने परिवार को लेकर किसी दूसरे स्थान पर चले गए। इसके बाद से उस मंदिर में पूजा-अर्चना भी बंद हो गई। मंदिर के आसपास झाड़ी उग गई। काफी समय बीतने के बाद गांव में महामारी व कई तरह की बीमारियां फैल गई। किसी ने सुझाव दिया कि मंदिर में पूजा बंद होने के कारण गांव में इस तरह की महामारी फैल रही है। तब आखिर में किसी पुरोहित को बुलाकर मंदिर में पूजा-अर्चना कराई गई। इसके बाद ही सभी बीमारी खत्म हो गई। तब से मंदिर में मान्यता होने लगी कि सच्चे मन से पूजा करने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
1664 के पूर्व में बना है यह मंदिर
मां नकटी देवी के इस मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। मंदिर के निर्माण की सही तिथि और निर्माण के बारे में भी किसी को जानकारी नहीं है। इस मंदिर का सीधा संबंध जरियागढ़ के राज परिवार से है। बताया जाता है कि यह मंदिर 1664 इश्वी के पूर्व की है। यहां पहले राजा ठाकुर गोविंदनाथ सहदेव का शासन था। पुत्प की हत्या के बाद राजा अपने स्वजनों को लेकर एक जगह चले गए। राजा जहां अपना बसेरा बनाया उस स्थान का नाम गोविंदपुर पड़ा। इसके बाद राजा वहीं रहने लगे थे। यह मंदिर खूंटी-चाईबासा रोड पर स्थित मुरहू से तपकरा जाने वाली सड़क पर करीब 15 किलोमीटर पर स्थित है। नवरात्रि के अवसर पर यहां खूंटी के अलावा कई अन्य जिलों से भी श्रद्धालु नकटी देवी की पूजा करने पहुंचते हैं।
यह भी पढ़े- नवरात्रि विशेष: राजस्थान की इस देवी मां के आगे औरंगजेब ने टेक दिए थे घुटने, दिल्ली से आता था अखंड जोत
झारखंड की सरकार, खनन-उद्योग, आदिवासी क्षेत्रों की खबरें, रोजगार-विकास परियोजनाएं और सुरक्षा अपडेट्स पढ़ें। रांची, जमशेदपुर, धनबाद और ग्रामीण इलाकों की ताज़ा जानकारी के लिए Jharkhand News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — विश्वसनीय स्थानीय रिपोर्टिंग सिर्फ Asianet News Hindi पर।