सार

नवरात्रि विशेष में जानिए राजस्थान ऐसी देवी मां के बारे में जिसके आगे दिल्ली सल्तनत के मुगल शासक ने भी अपने घुटने टेक दिए थे। इसके साथ ही माता जी की जलने वाली अखंड जोत का तेल दिल्ली दरबार से देवी मां के मंदिर के लिए भेजा  जाता था।

सीकर. राजस्थान में यूं तो मां जगदम्बा के कई प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन इनमें से एक शक्ति पीठ अपने इतिहास व चमत्कारों के लिए काफी प्रसिद्ध है। सीकर जिले की इस पीठ का संबंध मां दुर्गा के पहले रूप मां जयंती से है। जिनकी तपस्या कर भाई से नाराज हुई एक बहन ने भी दुर्गात्व प्राप्त कर लिया था। आज हम आपको उसकी मंदिर के इतिहास व औरंगजेब को दिखाए पर्चे के बारे में बताने जा रहे हैं। पेश है जीणमाता मंदिर पर खास रिपोर्ट.. 

भाई से नाराज होकर बहन ने की तपस्या
जीणमाता शक्ति व भक्ति के साथ अनूठे अतीत से जुड़ा है। प्राचीन कथाओं के अनुसार जीणमाता का स्थान नवदुर्गा में से प्रथम जयंती देवी का स्थल था। जहां कालान्तर में पाण्डवों ने भी पूजा अर्चना की थी। करीब 1200 वर्ष पहले चूरू के राजा गंगों सिंह की कन्या जीवनी अपने भाई हर्ष से नाराज होकर इस स्थल पर कठोर तपस्या कर जयंती देवी में विलीन हो गई थी। तभी से ये स्थान जीवनी माता का स्थान कहलाने लगा, जो अपभ्रंश हो जीण माता हो गया। 

औरंगजेब को दिखाई शक्ति
कथाओं के अनुसार मंदिरों को तोड़ता हुआ मुगल बादशाह औरंगजेब एक समय जीणमाता भी आया था। पर जैसे ही उसके सैनिकों ने मंदिर पर हमला किया तो पुजारियों की प्रार्थना पर माता के भंवरों ने सेना पर पलटवार कर दिया। जिससे घबराई औरंगजेब की सेना को भागने पर मजबूर होना पड़ा। माता की शक्ति को नमन कर औरंगजेब ने जीणमाता के मंदिर में अखंड ज्योत जलाने का प्रण लेकर दिल्ली दरबार से तेल भेजने की परंपरा भी शुरू की। वही अखंड ज्योत ही मंदिर में अब तक जलती आ रही है। 

कई समाजों की कुल देवी, नवरात्र में भरता है मेला
जीण माता शेखावाटी का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। जो यादव, अग्रवाल, जांगिड़ ,पंडित, राजपूत,  कायस्थ और मीणा सहित कई समाजों के विभिन्न गोत्रधारियों की कुलदेवी हैं। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें देश- विदेश से लाखों लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

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