सार

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के चक्रव्यूह में फंसे सचिन पायलट के सीएम बनने का सपना एक झटके में टूटता दिख रहा है। राजस्थान की सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने ऐसा दांव खेला की आलाकमान भी हैरान हो गया।

जयपुर. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के चक्रव्यूह में फंसे सचिन पायलट के सीएम बनने का सपना एक झटके में टूटता दिख रहा है। राजस्थान की सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने ऐसा दांव खेला की आलाकमान भी हैरान हो गया। रविवार तक सचिन पायलट सीएम की रेस में सबसे आगे थे लेकिन देर रात कर चले सियासी ड्रामे के बाद अब माना जा रहा है कि राजस्थान में राज उसी का होगा जिसे अशोक गहलोत पसंद करेंगे। वहीं, प्रभारी जय माकन ने कहा कि विधायकों से फिर से चर्चा की जाएगी।

क्या कहा माकन ने
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा- कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री की अनुमति से रखी गई थी। जो विधायक नहीं आए उनसे वन टू वन बात सुनने के लिए हम यहां आए हैं। कोई भी बात हो आप हमें कहें। कोई फैसला नहीं हो रहा है। जो आप कहेंगे वो बात हम दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष को बताएंगे। सूत्रों के अनुसार,विधायकों  ने अजय माकन से कहा है कि सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए।  विधायकों ने कहा है हम 102 विधायक में से किसी को सीएम बनाया जाये।

देर रात हुआ फैसला
राजस्थान में रविवार को चले सियासी तमाशे का देर रात अंत हो गया। दरअसल, देर रात सीएम आवास पर प्रदेश के कांग्रेस के मुख्य नेताओं की बैठक आयोजित की गई। जिसके बाद पार्टी के सभी विधायक अपने अपने घरों को लौट चुके हैं। गहलोत और मुख्य नेताओं ने अब निर्णय किया है कि अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुने जाने से पहले विधायक दल की कोई भी बैठक नहीं होगी। ऐसे में साफ कहा जा सकता है कि विधायक एकजुट नहीं हुए औऱ अगर अभी कोई फैसला होता है तो विरोध के स्वर और फूट सकते हैं। 

80 विधायकों ने सौंपा था इस्तीफा
आपको बता दें कि रविवार शाम शांति धारीवाल के आवास पर अशोक गहलोत गुट के करीब 80 से ज्यादा विधायक के इकट्ठे हुए जो देर रात अपने इस्तीफे सौंपने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के घर गए। जहां इन विधायकों ने अपने इस्तीफे भी विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिए। इसके बाद देर रात सीएम आवास पर पीसीसी चीफ डोटासरा, प्रताप सिंह खाचरियावास समेत पार्टी के मुख्य नेताओं की बैठक हुई। उसके बाद विरोध का यह स्वर कम हुआ है।

क्या अब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे अशोक गहलोत
राजस्थान में रविवार को हुए इस सियासी तमाशा के बाद अब पार्टी आलाकमान भी सोच कर ही कदम रखने वाला है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अब सीएम अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने पर भी कई सवाल खड़े होते दिख रहे हैं। क्योंकि जिस तरह राजस्थान में विधायकों ने गहलोत के हटने की आहट से बगावत की और सीएम बनाने का फैसला अंदर खाने किया तो इतना विरोध बढ़ा कि विधायकों ने अपना इस्तीफा देना ही उचित समझा।

सचिन के बाद कौन रेस में
वहीं, दूसरी ओर यदि विरोध के चलते सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो अब मुकाबला सीपी जोशी और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के मुद्दे भी ले सकता है। सूत्रों के मुताबिक पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा लगातार एक साथ ही कई दौरे कर चुके हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि राजस्थान में राजनीति में हुआ यह सियासी तमाशा इनकी ही एक चाल हो सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री जब राहुल गांधी को मनाने के लिए दिल्ली गए तो वहां वह नहीं माने और गहलोत को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात कही। ऐसे में कुछ नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ना पड़े इसके लिए अशोक गहलोत ने ही यह प्रोपेगेंडा रचा है।

विधायकों को मनाने की कोशिश में अजय माकन
राजस्थान में नए सीएम के चयन के लिए ऑब्जर्वर बनाए गए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन सोमवार को भी राजधानी जयपुर में रहेंगे। माना जा रहा है कि वो सभी विधायकों से एक-एक कर मुलाकात करेंगे और विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे। सूत्रों के अनुसार, माकन और खड़गे सीएम के चयन का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव विधायकों से पारित करवाना चाहते हैं। लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने शर्त रखी है कि 19 अक्टूबर से पहले सीएम पद के लिए कोई फैसला नहीं किया जाएगा।

इसे भी पढ़ें-  '10 जनपथ से' निकलेगा Rajasthan के सियासी भूचाल का 'हल', मीटिंग कैंसिल, अशोक गहलोत व सचिन पायलट Delhi तलब