झारखंड के रांची में अपनी पत्नियों से प्रताड़ित किए जा रहे लोग एक जुट हो रहे हैं और विरोध के स्वर मुखर कर रहे हैं। सेव इंडियन फैमिली नाम की संस्था के बैनर तले जुटे पत्नी पीड़ित पुरुषों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में स्थित बापू वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया।
रांची (Jharkhand). झारखंड के रांची में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां अब अपनी पत्नियों से प्रताड़ित किए जा रहे लोग एक जुट हो रहे हैं और विरोध के स्वर मुखर कर रहे हैं। सेव इंडियन फैमिली नाम की संस्था के बैनर तले जुटे पत्नी पीड़ित पुरुषों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में स्थित बापू वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया। आन्दोलन में शामिल लोगों का कहना था कि संविधान में महिलाओं के लिए बनाए गए कई विशेष कानूनों का दुरूपयोग करते हुए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। संस्था के फाउंडर मेम्बर प्रहलाद प्रसाद ने एशियानेट न्यूज़ हिंदी से बातचीत के दौरान इस संस्था की स्थापना और इसके मिशन के बारे में विस्तार से बात किया।
संस्था के फाउंडर मेम्बर प्रहलाद प्रसाद ने एशियानेट न्यूज़ हिंदी से बातचीत में बताया कि दहेज प्रताड़ना के खिलाफ कानून की धारा 498 का उपयोग महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कम बल्कि पुरुषों को प्रताड़ित करने के लिए ज्यादा हो रहा है। कई लोगों को झूठी शिकायतों की वजह से जेल जाना पड़ता है और पूरा परिवार तबाह हो जाता है। उनका कहना था कि कई बार उन्हें दहेज़ उत्पीड़न के मामले में फंसाने की धमकी देकर ब्लैकमेल भी किया जाता है। उनसे फर्जी तरीके से पैसे ऐंठा जाता है जिससे उनके सारे परिवार को इसका दंश झेलना पड़ता है।
हर साल 4 लाख से अधिक लोग होते हैं शिकार
प्रह्लाद प्रसाद ने बातचीत में बताया कि हर साल अकेले झारखंड में 4 लाख से अधिक लोग धारा 498 के दुरुपयोग का शिकार होते हैं। उन्होंने बताया कि अपनी मांगों के समर्थन में 19 नवंबर को रांची में एक बड़े सम्मेलन के आयोजन की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि हमारे मोर्चे झारखंड में अब तक तकरीबन 1 लाख लोग जुड़ चुके हैं। हम लगातार सरकार से इस कानून में संशोधन करने की मांग कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि सरकार हमें अन्याय से सुरक्षा देने के लिए कानूनों में आवश्यक संशोधन करेगी।
संस्था से जुड़े हुए 80 फ़ीसदी लोग हैं पत्नी पीड़ित
प्रहलाद प्रसाद ने बातचीत के दौरान बताया कि इस संस्था से जुड़े हुए अधिकतर लोग पीड़ित ही हैं। कोई फर्जी दहेज़ उत्पीड़न मामले में जेल काटकर आया है तो कोई गुजारा भत्ता की धारा 125 के तहत बिना किसी गुनाह के फंस कर अपना सब कुछ बेच कर गुजारा भत्ता भर रहा है। किसी के बूढ़े मां बाप फर्जी तरीके से दहेज़ उत्पीडन में फंसा कर जेल भेज दिए गए हैं तो किसी के अविवाहित भाई-बहन इसका दंश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को एक मंच पर लाकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने और कानून में संशोधन के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है।