कोलकाता में ऐसा क्या हुआ कि रांची के वकील नहीं पहुंच पाए ईडी कोर्ट

जनहित याचिका के निपटारे के लिए कोलकाता बिजनेसमैन से रिश्वत लेने के मामलें में वहां पकड़ें गए रांची के वकील राजीव कुमार को कागजी कार्यवाही पूरी न होने के कारण कोलकाता जेल प्रशासन ने ईडी कोर्ट नहीं जाने दिया। बता दे ये एडवोकेट सीएम हेमंत सोरेन का शेल कंपनी मामले में भी देख रहे हैं।

Sanjay Chaturvedi | Published : Aug 18, 2022 1:00 PM IST / Updated: Aug 18 2022, 08:03 PM IST

रांची (झारखंड) .झारखंड के मुख्यमंत्री पर शेल कंपनी मामला का आरोप लगाने वाले याचिकाकर्ता के वकील जो कि झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता हैं उन्हें आज ईडी कोर्ट में पेश होना था। ईडी कोर्ट ने आज के दिन उन्हें सशरिर पेश होने को कहा था, लेकिन किसी कारण वश वे ईडी कोर्ट में पेश नहीं हो सके। कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण कोलकाता जेल प्रशासन ने राजीव कुमार को रांची जाने की इजाजत नहीं दी। अब राजीव कुमार को शुक्रवार या शनिवार को ईडी कोर्ट में पेश किये जाने की संभावना है। 

ईडी कर रही मामले की पूरी जांच 
ईडी राजीव कुमार के खिलाफ कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल की शिकायत की जांच कर रही है। पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दर्ज मामले को ईडी ने बीते 11 अगस्त को टेकओवर कर लिया था। इस मामले में कोलकाता पुलिस ने ईडी के ओड़िशा क्षेत्रीय कार्यालय के उप निदेशक सुबोध कुमार को भी तलब किया और उनसे अपना बयान दर्ज करने को कहा था। 

रांची कार्यालय में उप निदेशक थे सुबोध कुमार
बता दें कि सुबोध कुमार इससे पहले एजेंसी के रांची कार्यालय में उप निदेशक के पद पर तैनात थे। कोलकाता पुलिस ने राजीव कुमार के साथ उनकी कुछ कथित व्हाट्सएप बातचीत के आधार पर उन्हें तलब किया था। राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के साथ मिलकर कारोबारियों और कंपनियों से रंगदारी वसूलने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। 

कोलकाता में 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया था
बता दें कि 31 जुलाई को कोलकाता पुलिस ने अधिवक्ता राजीव कुमार को 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ एक जनहित याचिका 4290/21 में उसकी सुरक्षा के नाम पर अमित अग्रवाल से जबरन वसूली की गई। नकदी के साथ उन्हें गिरफ्तार किया गया है। याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने अपने पीआईएल में दावा किया है कि मुख्यमंत्री, उनके परिवार के सदस्य और सहयोगी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्होंने विभिन्न मुखौटा कंपनियों के माध्यम से अपने बेहिसाब धन का शोधन किया है। 

मुख्यमंत्री ने अपने ऊपर लगे आरोपों का किया है खंडन
अमित अग्रवाल इस जनहित याचिका के प्रतिवादी नहीं हैं, बल्कि उनकी कंपनी ऑरोरा स्टूडियो प्रा. लिमिटेड को जनहित याचिका में एक संदिग्ध शेल कंपनी के रूप में नामित किया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अमित अग्रवाल मुख्यमंत्री के करीबी हैं। हालांकि, प्रतिवादी के रूप में हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों का जोरदार खंडन किया है। राजीव कुमार याचिकाकर्ता के वकील हैं।

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