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तिरंगे में लिपटे शहीद को एकटक देखती रही प्रेग्नेंट पत्नी, पति की मूछों पर ताव देकर बोली- आप अमर रहेंगे
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एक टक देखती रही, फिर मूछों पर ताव देकर किया विदा
शहीद की पत्नी बोली पिता बनने के लिए इतने उत्साहित थे कि कहते थे सबसे पहले बच्चे को मैं ही गोद में लूंगा, लेकिन अब होने वाला बच्चा और उसके पिता कभी नहीं मिल पाएंगे। ऐसा कह वह फफक पड़ी, फिर अपने पति की मूछों पर ताव दिया और बोली आप हमेशा अमर रहेंगे। उस समय वहां हजारों की संख्या में ग्रामीण और परिवार के सदस्य मौजूद थे। जिसने भी इस दृश्य को देख कर अपनी आंखें नम करने से नहीं रोक पाया ।
मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आईटीबीपी की बस खाई में गिरी थी, इसी बस में बैठे 7 जवान शहीद हुए थे। इन 7 जवानों में राजस्थान के सीकर में रहने वाले सुभाष बेरवाल भी शामिल थे। उनकी पार्थिव देह गुरुवार सुबह सवेरे जब घर लाई गई तो परिवार सन्न रह गया।
2 दिन से जैसे-तैसे सुभाष की शहादत की खबरें परिवार से छुपाई जा रही थी लेकिन आज ऐसा नहीं हो सका । शहीद के बुजुर्ग माता-पिता एवं 8 महीने की पत्नी ने सुभाष के शव को देखकर कोहराम मचा दिया । हर कोई उन्हें संभाल रहा था ,लेकिन उनकी चितकारों से आसमान गूंजे जा रहा था । गांव की महिलाओं ने सास और बहू को संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन संभाल नहीं सके।
कल शाम को ही दी गई थी पत्नी को सूचना
दरअसल शहीद सुभाष की पत्नी सरला को कल शाम ही शहादत की सूचना दी गई थी। सरला के माता-पिता को इसकी जानकारी थी लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को इस बारे में नहीं बताया था । सरला रक्षाबंधन को ही अपने पीहर आई थी और जल्द ही वापस अपने ससुराल जाने वाली थी ।
सीकर में जैसे ही लोगों को जानकारी हुई की शहीद को उसके गृह निवास लाया जा रहा है। उसके आने पर 15 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित गांव के लोग शहीद को विदा करने पहुंचे। इस समय वहां आई भीड़ संभालने के लिए 500 पुलिसकर्मी लगाए गए।
छोटे-छोटे बच्चे हाथ में तिरंगा लिए भारत माता की जयकार करते नजर आए। सड़क के दोनों ओर खड़े बच्चे और बड़ों ने सेल्यूट करके शहीद को अंतिम विदाई दी । नजारा पूरी तरह फिल्मी लग रहा था, लेकिन सब कुछ असलियत में हो रहा था ।
जम्मू कश्मीर के पहलगांव में शहीद हुए सीकर के शाहपुरा में रहने वाले सुभाष चंद्र को आज यानि गुरुवार 18 अगस्त की सवेरे जब गांव लाया गया तो वहां के युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाली।
सीकर के इस शहीद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई तो वहां 15 गांव के लोग और सीकर शहर के हजारो लोगों का हुजूम लग गया।
अंतिम यात्रा के समय लोगों का हुजूम लगने से मुक्तिधाम के पास पुलिस ने पूरी व्यवस्था संभाली ताकि किसी तरह की दुर्घटना नही हो।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुभाष करीब 2 महीने पहले ही वापस लौटा था और अगले महीने करीब 3 से 4 सप्ताह की छुट्टी लेकर अपने गांव आने वाला था। पहली बार पिता बनने को लेकर वह इतना उत्साहित था कि घर में सभी को कहा था कि सबसे पहले बच्चे को वही गोद में लेगा। लेकिन अब बच्चे को सबसे पहले गोद में लेने वाले उसके पिता इस दुनिया में नहीं रहे हैं ।
जम्मू कश्मीर के पहलगांव में मंगलवार के दिन शहीद हुए सीकर के शाहपुरा में रहने वाले को सुभाष चंद्र को गुरुवार के दिन उनके छोटे भाई मुकेश ने मुखाग्नि दी।
गौरतलब है कि राजस्थान में झुंझुनू और सीकर जिले से सबसे ज्यादा जवान देश सेवा के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में तैनात है। पिछले 4 सप्ताह के दौरान ही 4 जवान शहीद हो चुके हैं।