सार

जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में  3 साल पहले एक कैदी की हत्या करने के मामले में सुनवाई करते हुए गुरुवार, 18 अगस्त  के दिन जमशेदपुर कोर्ट ने आरोपियों में 15 को फांसी की तो 7 को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है। राज्य में पहली बार इतने लोगों को फांसी की सजा दी गई है।

जमशेदपुर( झारखंड): झारखंड के जमशेदपुर में स्थित घाघीडीह जेल में एक कैदी की हत्या मामले में कोर्ट ने 15 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। जबकि 7 दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई गई है। जमशेदपुर कोर्ट के एडीजे-4 राजेन्द्र कुमार सिन्हा की अदालत ने इस मामले में गुरुवार को दोषियों को सजा सुनाई। कुल 22 आरोपियों को मर्डर के मामले में सजा सुनाई गई। दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। जमशेदपुर में पहली बार एक साथ इतने लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। 6 अगस्त को सभी को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने बताया कि इस मामले में 15 लोगों की गवाही हुई थी। 

इन्हें सुनाई गई फांसी की सजा
हत्या करने के मामले में कोर्ट ने वासुदेव महतो, अनुप कुमार बोस, जानी अंसारी, अजय मल्लाह, गोपाल तिरिया, पिंकू पूर्ति, श्यामु जोजो, संजय दिग्गी, शिवशंकर पासवान, रमेश्वर अंगारिया, गंगा खंडैत, रमाय करूवा और शरद गोप समेत 2 अन्य को धारा 147, 139, 323, 149, 325, 302 और 307 में दोषी पाया गया। जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 

इन्हें सुनाई गई 10 साल की सजा
जानलेवा हमला करने के मामले में कोर्ट ने ऋषि लोहार, सुमित सिंह, अजीत दास, तौकीर, सौरभ सिंह, सोनू लाल और सोएब अख्तर उर्फ शिबू को कोर्ट ने धारा 147, 148, 323 और 307 पर दोषी पाया था। इन्हें सभी दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई गई। 

क्या था पूरा मामला
आपको बता दें कि  25 जून 2019 को घाघीडीह जेल में बंद कैदी मनोज सिंह की की हत्या हुई थी। घाघीडीह सेंट्रल जेल में दो गुटों के कैदियों के बीच भिड़ंत हो गयी थी। दोनों गुटों लाठी और डंडा लेकर एक-दूसरे पर टूट पड़े थे। इस बीच हरीश सिंह गुट का मनोज सिंह, ऋषि लोहार व अन्य ने पंकज दुबे पर हमला बोल दिया था। विवाद हरीश के कारण हुआ था। घटना के बाद मनोज सिंह और सुमित सिंह को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लाया गया था। जहां मनोज सिंह की मौत हो गई थी। घटना के संबंध में 17 सजायाफ्ता और बिचाराधीन कैदियों के खिलाफ परसुडीह थाना में मामला दर्ज कराया गया था।  दोनों गुटों में वर्चस्व को लेकर घाघीडीह सेंट्रल जेल में लड़ाई हुई थी।

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