आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला जो कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रिमों शिबू सोरेन के खिलाफ चल रहा था उस पर दिल्ली की हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे है कि सीएम हेमंत सोरेन की विधायक सदस्यता वाला फैसला सोमवार के दिन आ सकता है।
रांची (झारखंड). आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में झामुमो सुप्रिमों शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल में चल रही सुनवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले से झामुमो को बड़ी राहत मिली है। इसी बीच मुख्यमंंत्री और उनके विधायक भाई बसंत सोरेन के मामले में कभी भी राज्यपाल अपना फैसला सुना सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आज ही राज्यपाल फैसला सुना दें। बता दें कि लोकपाल में सोमवार को सुनवाई की जानी थी।
शिबू सोरेन ने दाखिल की थी याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने झामुमो सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन पर भारत के लोकपाल द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सोमवार को दिए अपने आदेश में न्यायमूर्ति जसवंत वर्मा ने भारत के लोकपाल द्वारा लोकपाल वं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाई हैं। कोर्ट शिबू सोरेन द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लोकपाल की कार्रवाई को कानूनी तौर पर गलत और अधिकार क्षेत्र के हनन के तौर पर बताया गया था।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 2020 में की थी शिकायत
5 अगस्त 2020 को भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने झामुमो सुप्रिमो शिबू सोरेन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद उनपर कार्रवाई शुरू हुई। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक कार्रवाई के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 20(1)(ए) तहत मुकदमा दर्ज किया था। शिबू सोरेन ने दावा किया कि उनके खिलाफ की गई शिकायत पूरी तरह झूठी है। साथ ही भारत के लोकपाल द्वारा जांच के मामले में लोकपाल अधिनियम की धारा 53 के तहत अपराध के 7 वर्ष बाद की गई किसी भी शिकायत पर जांच नहीं की जा सकती है।
प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश करने में सीबीआई ने की देर
याचिका में कहा गया है कि शिकायत की तारीख से प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए 180 दिनों की अधिकतम अवधि 1 फरवरी, 2021 को समाप्त हो गई है। इस पृष्ठभूमि में कहा गया है कि इस समय तक सोरेन से केवल 1 जुलाई 2021 को ही टिप्पणियां मांगी गई थी जो निर्धारित वैधानिक अवधि की बाद की है। सीबीआई ने 29 जून 2022 को अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट सबमिट की है जोकि वैध अवधि से करीब डेढ़ वर्ष बाद की है। ऐसे में उस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोकपाल के क्षेत्राधिकार पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है ऐसे में इस मामले में अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है कोर्ट ने इस मामले को 14 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।
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