झारखंड में साल 2019 मे खनन मामले में विरोध प्रदर्शन में हिंसक झड़प के बाद केस में जेल जाने के बाद 7 सितंबर में हुई सुनवाई में बेल मिल गई। लेकिन किसी कानून अड़चन के कारण आज यानि शुक्रवार को बेल नहीं हो पाई। उनके समर्थकों ने स्वागत की तैयारी कर ली थी,लेकिन सब फ्लॉप हो गई।
रांची (झारखंड): अप्रैल 2019 से होटवार जेल में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव आज जेल से छूटने वाले थे। समर्थकों ने उनकी स्वागत की जोरदार तैयारी भी कर ली थी। लेकिन कानूनी अड़चन के कारण शुक्रवार को होने वाली उनकी रिहाई टल गई। समर्थकों की स्वागत की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। हजारीबाग में भी उनके स्वागत की जोरदार तैयारी की गई थी। जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगाए गए थे। लेकिन पूर्व मंत्री की रिहाई नहीं होने के कारण समर्थकों ने निराशा छा गई। अब पूर्व मंत्री को कुछ दिन और जेल में बिताने पड़ेंगे। जानकारी के अनुसार केरेडारी के एक अन्य केस में पूर्व मंत्री पर प्रोडक्शन वारंट भेजा गया है। इसकी जानकारी ना तो समर्थकों को थी और ना ही पूर्व मंत्री की बेटी विधायक अंबा प्रसाद को। जानकारी हो कि पिछले दिनों ने कोर्ट में पूर्व मंत्री को बेल दे दिया था। शुक्रवार को वे जेल से रिहा होने वाले थे।
वारंट भेजने के कारण रिहाई टली
जानकारी के अनुसार केरेडारी केस संख्या 33/12 में पुलिस की ओर से प्रोडक्शन वारंट भेजने के कारण पूर्व मंत्री की रिहाई टली। इस केस में पुलिस ने वर्ष 2019 में चार्जशीट दायर किया था। इसमें सरकारी काम में बाधा समेत कई धाराओं में पूर्व मंत्री पर केस दर्ज था। इस केस में बेल नहीं मिलने के कारण पूर्व मंत्री की शुक्रवार को रिहाई नहीं हो पाई। इधर, कई समर्थकों के साथ पूर्व मंत्री की विधायक बेटी भी योगेंद्र साव के स्वागत के लिए होटवार जेल पहुंच गए थे। रिहाई नहीं होने की जानकारी मिलने पर सभी निराश वापस लौट गए।
क्या है पूरा मामला
बड़कागांव में एनटीपीसी की ओर से खनन के लिए जमीन अधिग्रहण करने और खनन को लेकर विरोध चल रहा था। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान लोगों की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री पर दो दर्जन से अधिक केस दर्ज किया गया था। इनमें दो मामलों में पूर्व मंत्री को सजा हुई है। इससे पहले एक मामले में पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी को 10-10 साल की सजा हुई थी। 15 अप्रैल 2019 को पूर्व मंत्री ने सरेंडर किया था। तब से वे जेल में हैं। सुप्रिम कोर्ट ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने पर योगेंद्र साव की जमानत रद्ध कर दी थी। हजारीबाग के सभी मामलों की सुनवाई के लिए रांची की निचली आदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। सात सितंबर को झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी की जमानत याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान पूर्व मंत्री की जमानत याचिका मंजूर कर दी गई थी। जबकि चिरुलडीह गोलीकांड मं पूर्व मंत्री की पत्नी को जमानत नहीं मिल पाई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री को पहले ही बेल मिल चुकी थी।
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