लीज माइनिंग के मामले में सीएम हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्यपाल ने अपना फैसला चुनाव आयोग को भेज दिया है। चुनाव आयोग के द्वारा नोटिफिकेशन जारी होने के बाद हेमंत सोरेन अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
रांची. झारखंड में सियासी हलचल के बीच कभी भी निर्वाचन आयोग सीएम की सदस्यता को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। राज्यपाल ने अपना फैसला आयोग को भेज दिया है। जानकारी के अनुसार, आयेाग की तरफ से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद राज्यपाल रमेश बैस मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफे की लिए कह सकते हैं। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो को भी आयोग की अधिसूचना से अवगत कराया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपना इस्तीफा दे सकते हैं।
जेएमएम को मिलेगा सरकार बनाने का न्यौता
सोरेन की सदस्यता जाने के बाद गवर्नर राज्य के सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्यौता देंगे। संख्या बल के अनुसार फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा अभी झारखंड विधानसभा में सबसे बड़ा दल है। ऐसे में नियम के अनुसार गवर्नर को सरकार बनाने का पहला मौका जेएमएएम को ही मिलेगा। हालांकि सत्ता पक्ष को मौका मिलने पर आसानी से दोबारा सरकार बना सकती है।
महागठबंधन के विधायक एकजुट
वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पहले ही महागठबंधन के सभी विधायकों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिया है। कांग्रेस और जेएमएम ने अपने-अपने विधायकों से साइन करवाया। जेएमएम का कहना है कि 42 विधायकों का समर्थन पत्र पहले से बनकर तैयार है। इससे पहले महागठबंधन के सभी विधायकों ने अपना समर्थन हेमंत सोरेन को देने की बात कही।
मुख्यमंत्री के दोबारा चुनाव लड़ने पर संशय
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता जानी तो तय है, लेकिन वे दोबारा चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने फिलहाल मुख्यमंत्री की विधायकी रद्द की है। अगर मुख्यमंत्री की विधायकी जाती है तो वे इस्तीफा देने के बाद तुरंत विधायक दल के नेता चुने जाएंगे और राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। हालांकि, ये सब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा- हम झुकने वाले नहीं
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया में कहा कि झारखंड के अंदर बाहरी ताकतों का गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह ने पिछले 20 वर्षों से राज्य को तहस-नहस करने का संकल्प लिया था। जब उन्हें 2019 में उखाड़ कर फेंका गया तो उन षड्यंत्रकारियों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि अगर हम यहां टिक गए तो उनका आने वाला समय मुश्किल भरा होने वाला है। राजनैतिक तौर पर सक नहीं पा रहे हैं तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं।
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