
रांची (झारखंड). लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चुनाव आयोग का फैसला कभी भी आ सकता है। झारखंड में वर्तमान समीकरण को देखा जाए तो झारखंड विधानसभा 81 विधायकों वाली है। इसमें 30 विधायकों के साथ झामुमो सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के 18 विधायक, राजद के एक और भाकपा-माले के एक विधायक को सरकार का समर्थन है। चूंकी झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है ऐसे में झामुमो किसी भी परिस्थिति में सत्ता की चाबी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते। इसी बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रांची बुलाया है। अगर सीएम की सदस्यता रद्द होती है तो अगले मुख्यमंत्री को लेकर फैस्ला किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, हेमंत सोरेन 4.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें वह अपनी बात रखेंगे। वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम सीएम हाउस पहुंचे। जेएमएम ने विधायकों की बैठक बुलाई है। कई विधायक मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे। कांग्रेस ने सभी विधायकों को रांची में रहने के निर्देश दिए हैं।
सभी विधायकों पर रखी जा रही नजर
वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए सत्ताधारी यूपीए के सभी विधायकों पर राज्य सरकार की पैनी नजर है। सभी विधायकों की एक्टिविटी पर पूरी नजर रखी जा रही है। यहां तक कि राजधानी के अलावा उनके क्षेत्र में भी सरकारी मशीनरी की मदद से उन विधायकों को ट्रैक किया जा रहा है। 30 जुलाई को कैशकांड में झारखंड कांग्रेस के तीन विधायकों के फंसने के बाद से राज्य सरकार चौकस हो गई है और इसका मैसेज पिछले दिनों सीएम हाउस में हुई विधायक दल की बैठक में भी दिया गया है।
सत्ता पक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौति, हेमंत का विकल्प कौन?
चुनाव आयोग के फैसले के दोनों पक्षों को लेकर यूपीए रेडी मोड में हैं। अगर फैसले से सोरेन की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा तो सत्तापक्ष कम्फर्टेबल मोड में रहेगा। दूसरी तरफ झामुमो इस बात को लेकर बेचैन है कि अगर कमीशन का फैसला सोरेन के खिलाफ गया तो ऐसी स्थिति में उनके विकल्प के रूप में किसे चुना जा सकता है। हालांकि, इसको लेकर पार्टी और यूपीए प्लेटफार्म पर अनौपचारिक रूप से तीन नामों की चर्चा हुई है। उसमें सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।
छह महीने की सुनवाई के बाद आयोग ने लिया फैसला
दरअसल 10 फरवरी को पूर्व सीएम रघुवर दास के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि सीएम सोरेन ने पद पर रहते हुए अनगड़ा में खनन पट्टा लिया है। यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने बीजेपी की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर सोरेन से इस मामले में जवाब मांगा था। लगभग छह महीने की सुनवाई के बाद आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वही निर्णय अब किसी भी समय आने की उम्मीद है।
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