झारखंड की में जल्दी ही राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया की जाएगी। इसके तहत 3120 टीचरों की भर्ती प्रोसेस शीघ्र स्टार्ट की जाएगी, इसके साथ ही प्राथमिक स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाई कराई जाएगी। इस हेतु पायलट प्रोजेक्ट भी तैयार है।
रांची (झारखंड). राज्य में जल्द ही शिक्षकों की बड़ी नियुक्ति होने वाली है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार राज्य के 510 प्लस-2 उच्च विद्यालयों में 3120 नए शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। कुल 3,120 में से 1,391 पद चार विषय में हैं। भौतिकी में 395, गणित में 343, रसायन में 342 व अंग्रेजी में 311 पद रिक्त हैं। वहीं राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिकी कक्षा की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाएगी। इसके लिए भी पायलट प्रोजेक्ट तैयार है। पहले चरण में राजय के 250 स्कूलों में इसकी शुरूआत इसी सत्र से हो जाएगी। इन स्कूलों में जनजातिय भाषा में कक्षा तीन तक की पढ़ाई शुरू की गई है। नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई मातृभाषा में देने के लिए कहा गया है। इसके तहत खूंटी में मुंडारी, लोहरदगा में कुड़ुख, पश्चिमी सिंहभूम में हो, गुमला एवं सिमडेगा में खड़िया व साहेबगंज में संताली भाषा में पढ़ाई शुरू की गयी है।
शिक्षकों के लिए आरक्षण में संशोधन
राज्य के प्लस टू स्कूल शिक्षक नियुक्ति में हाइस्कूल शिक्षकों के लिए आरक्षित है। पहले हाइस्कूल शिक्षकों के लिए 50 फीसदी पद आरक्षित थे। शिक्षकों के लिए आरक्षित आधे से अधिक पद रिक्त रह जाते थे। प्लस टू शिक्षक नियुक्ति की संशोधित नियमावली में शिक्षकों का आरक्षण कम कर दिया गया है। अब शिक्षकों के लिए 25 फीसदी सीटें ही आरक्षित रहेंगी। इसके अलावा यदि शिक्षकों के लिए आरक्षित पद रिक्त रह जाता है, तो इसे सीधी नियुक्ति से भर दिया जायेगा।
प्लस टू विद्यालयों में 2012 में हुई थी शिक्षक नियुक्ति
प्लस टू उच्च विद्यालय में सबसे पहले वर्ष 2012 में शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। वर्ष 2012 में 230 प्लस टू उच्च विद्यालयों में 1,840 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गयी। इसमें 607 पद रिक्त रह गये। अंग्रेजी में 230 में से मात्र 95 व गणित में 230 में से 109 पदों पर ही नियुक्ति हुई। इसके बाद 280 प्लस टू स्कूल में 3,080 शिक्षकों व 171 प्लस टू स्कूल में 513 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गयी। इनमें 3,080 में से लगभग एक हजार एवं 513 में से 200 पद रिक्त रह गये।
मातृभाषा की पढ़ाई से बच्चों को होने वाले फायदों का कराया जाएगा सर्वे
मातृभाषा में पढ़ाई का बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसका अध्ययन होगा। इसके लिए इन स्कूलों में सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है। वर्ष भर में तीन सर्वे कराया जायेगा। प्रथम चरण के सर्वे का कार्य शुरू हो गया है। सर्वे में बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कैसे कर रह रहे, विषयों को समझने में उन्हें पहले की तुलना में आसानी हो रही है कि नहीं, शिक्षक बच्चों को उनकी भाषा में बेहतर ढ़ग से समझा पा रहे हैं कि नहीं, इसकी जानकारी ली जायेगी। स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने के पूर्व अभिभावकों की सहमति ली गयी है। विद्यालयों में चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि विद्यालय में उस भाषा को बोलने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम से कम 70 फीसदी हो।