50 लाख के साथ गिरफ्तार अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ ईडी ने किया मनी मनी लॉन्ड्रिंग का केस

कोलकाता में बिजनेसमैन से 50 लाख रुपए लेते समय पकड़ाए झारखंड  के सीनियर वकील के मुश्किलें बढ़ती जा रही है। उन पर अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। मामलें में पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी जांच कर रही है।
 

Sanjay Chaturvedi | Published : Aug 12, 2022 3:48 PM IST

रांची (झारखंड).  5 लाख रुपए कैश के साथ पकड़े गए हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। ऐसे में अधिवक्ता की मुश्किलें बढ़ सकती है। पश्चिम बंगाल की पुलिस ने राजीव कुमार को 50 लाख रुपए कैश के साथ 31 जुलाई को पकड़ा था। जांच करने के बाद ईडी ने अब मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का दावा है कि पूछताछ के दाैरान अधिवक्ता राजीव कुमारे ने कई खुलासे किए हैं। 

कोलकाता के कारोबारी ने दर्ज कराया था केस
गौरतलब है कि कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल द्वारा हेयर स्ट्रीट थाने में राजीव कुमार के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल पुलिस ने कोलकाता में 50 लाख रुपए के साथ 31 जुलाई को गिरफ्तार किया था। अधिवक्ता पर आरोप है कि उन्होंने याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर कारोबारी से पैसे वसूलने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करवाई थी।
 
4 करोड़ रुपये मांगने का आरोप
कारोबारी अमित अग्रवाल की ओर से राजीव कुमार के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया है कि झारखंड हाई कोर्ट में शेल कंपनियों और अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने के लिए दर्ज याचिका से नाम हटाने के बदले राजीव कुमार ने 4 करोड़ की मांग की थी। बाद में वह 50 लाख रुपये लेने कोलकाता आए थे, जिसके बाद कोलकाता पुलिस के एआरएस विभाग ने हैरिसन स्ट्रीट में स्थित बिजनेस कॉम्‍प्‍लेक्‍स से 31 जुलाई की रात को गिरफ्तार क‍िया था। राजीव कुमार तब से जेल में बंद हैं। 

पुलिस का दावा- राजीव कुमार ने किए कई खुलासे
पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि अधिवक्‍ता राजीव कुमार ने स्वीकारोक्ति बयान में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने बड़े सरकारी पदाधिकारियों और न्यायिक पदाधिकारियों के नाम बताए हैं, जो उनसे लाभान्वित होते थे। पश्चिम बंगाल पुलिस ने दावा किया है कि अफसरों के नाम सामने आने के बाद इस संबंध में अधिक छानबीन की जरूरत है। इसी वजह से पश्चिम बंगाल पुलिस ने अधिक पुलिस हिरासत की मांग कोर्ट से की थी।

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