झारखंड शेल कंपनी मामलाः सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिका में सुनवाई टली, 17 अगस्त की दी अगली तारीख

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी और खनन पट्‌टा मामले में शुक्रवार 12 अगस्त को सुनवाई हुई। इस मामलें में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 17 अगस्त को होगी। सीएम का केस लड़ रहे वकील ने केस को राजनीति से प्रेरित बताया है।

Sanjay Chaturvedi | Published : Aug 12, 2022 12:30 PM IST

रांची (झारखंड). झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रही शेल कंपनी के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई अगली तारीख तक ले लिए टाल दी। अब इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय 17 अगस्त को सुनवाई करेगा। इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। हेमंत सोरेन का केस लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनहित याचिका में जिन मुखौटा कंपनी का जिक्र किया गया है।  वे साठ के दशक से मौजूद हैं। यह जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या राज्य या मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से शिकायत की है। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया नहीं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और मूल याचिका से संबंधित सारे दस्तावेज पेश करने के लिए कहा। 

 कपिल सिब्बल लड़ रहे हेमंत का केस
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपील सिब्बल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का केस लड़ रहे हैं। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई की।  इस दौरान पीठ ने झारखंड सीएम सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को अदालत में दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया। इससे पहले सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि जनहित याचिका शर्तों को पूरा नहीं करती और यह राजनीति से प्रेरित है। इसके बाद भी झारखंड उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया। उन्होंने अदालत से कहा कि ईडी ने सीलबंद लिफाफे में जो सबूत पेश किए हैं, उस पर कई आपत्ति हैं. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी आपत्ति पर गौर नहीं किया।
 
ये है मामला
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन पट्टा और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है। प्रार्थी मस्तराम मीणा ने याचिका दायर की है। दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि शिव शंकर शर्मा की दो याचिकाएं जिसकी संख्या 4290 ऑफ 2021 और 727 ऑफ 2022 की मेंटेनेबिलिटी मामले पर 12 अगस्त को शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है। 

झारखंड हाई कोर्ट में जारी है बहश, शीर्ष अदालत रद्द करे याचिका
याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने 31 जुलाई की शाम को गिरफ्तार किया है। याचिकाकर्ता के वकील पर कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल को पीआईएल 4290 ऑफ 2021 में राहत दिलाने के नाम पर पैसे की मांग की गयी थी। इसका ऑडियो भी वायरल हुआ था। चुंकि झारखंड हाई कोर्ट में दोनों याचिकाओं पर बहस जारी है। इसलिए शीर्ष अदालत की तरफ से दोनों याचिकाओं को रद्द करने की मांग की गयी है। 

सीएम हेमंत सोरेन से जुड़ी है दोनों याचिका
दोनों याचिकाएं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी हैं। हस्तक्षेप याचिका में अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी की कॉपी और 50 लाख रुपये की नगद बरामदगी का जिक्र किया गया है। ऐसे में एडवोकेट राजीव कुमार की कोई विश्वसनीयता नहीं रह गयी है। उनके द्वारा आम लोगों को डराने-धमकाने के लिए रिट याचिकाएं दायर की जाती रही है, जिसका यह स्पष्ट प्रमाण है।

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